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________________ पाठ 27 सम्बन्धक भूत कृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) अकर्मक क्रियाएँ हस = हँसना, लुक्क = छिपना णच्च-नाचना. - हस णच्च संबन्धक भूत कृदन्त के लुक्क प्रत्यय हसि = हँसकर णच्चि = नाचकर लुक्कि = छिपकर हसिउ = हँसकर णच्चिउ = नाचकर लुक्किउ = छिपकर हसिवि = हँसकर णच्चिवि = नाचकर लुक्किवि = छिपकर हसवि = हँसकर णच्चवि = नाचकर लुक्कवि = छिपकर एप्पि हसेप्पि = हँसकर णच्चेप्पि = नाचकर लुक्केप्पि - छिपकर एप्पिणु हसेप्पिणु = हँसकर णच्चेप्पिणु = नाचकर लुक्केप्पिणु = छिपकर एवि हसेवि = हँसकर णच्चेवि = नाचकर लुक्केवि = छिपकर एविणु हसेविणु = हँसकर णच्चेविणु = नाचकर लुक्केविणु = छिपकर वाक्यों में प्रयोग हउं हसि/हसिउ/हसिवि/हसवि/हसेप्पि/ हसेप्पिणु/हसेवि/हसेविणु जीवउं = मैं हँसकर जीता हूँ। हउं हसि/हसिउ/हसिवि/हसवि/हसेप्पि/ हसेप्पिणु/हसेवि/हसेविणु जीवमु = मैं हँसकर जीतूं। हउं हसि/हसिउ/हसिवि/हसवि/हसेप्पि/ हसेप्पिणु/हसेवि/हसेविणु जीवेसउं = मैं हँसकर जीयूँगा। तुहुं णच्चि/णच्चिउ/णच्चिवि/णच्चवि/णच्चेप्पि/ णच्चेप्पिणु/णच्चेवि/णच्चेविणु थक्कहि = तुम नाचकर थकते हो। तुहुं णच्चि/णच्चिउ/णच्चिवि/णच्चवि/णच्चेप्पि/ णच्चेप्पिणु/णच्चेवि/णच्चेविणु थक्केहि = तुम नाचकर थको। 44 अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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