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________________ पाठ 23 सर्वनाम तुम्हे | - तम दोनों/तुम सब मध्यम पुरुष बहुवचन तुम्हइं णच्च - नाचना जग्ग - जागना अकर्मक क्रियाएँ हस = हँसना, सय = सोना, रूस = रूसना, लुक्क = छिपना, जीव = जीना भविष्यत्काल तुम्हे । हसेसहु/हसेसह/हसेसइत्था/ तुम्हई J हसिहिहु/हसिहिह/हसिहित्या तुम्हे । सयेसहु/सयेसह/सयेसइत्था/ तुम्हइं J सयिहिहु/सयिहिह/सयिहित्था तुम्हे । णच्चेसहु/णच्चेसह/णच्चेसइत्था/ तुम्हई J णच्चिहिहु/णच्चिहिह/णच्चिहित्था तुम्हे । रूसेसहु/रूसेसह/रूसेसइत्था/ तुम्हई J रूसिहिहु/रूसिहिह/रूसिहित्था तुम्हे । लुक्केसहु/लुक्केसह/लुक्केसइत्था/ तुम्हई । लुक्किहिहु/लुक्किहिह/लुक्किहित्था तुम्हे । जग्गेसहु/जग्गेसह/जग्गेसइत्था/ तुम्हई J जग्गिहिहु/जग्गिहिह/जग्गिहित्था तुम्हे । जीवेसहु/जीवेसह/जीवेसइत्था/ तुम्हई ) जीविहिहु/जीविहिह/जीविहित्था तुम दोनों हँसोगे/हँसोगी। तुम सब हँसोगे/हँसोगी। तुम दोनों सोवोगे/सोवोगी। - तुम सब सोवोगे/सोवोगी। तुम दोनों नाचोगे/नाचोगी। तुम सब नाचोगे/नाचोगी। तुम दोनों रूसोगे/रूसोगी। तुम सब रूसोगे/रूसोगी। तुम दोनों छिपोगे/छिपोगी। तुम सब छिपोगे/छिपोगी। तुम दोनों जागोगे/जागोगी। तुम सब जागोगे/जागोगी। तुम दोनों जीवोगे/जीवोगी। तुम सब जीवोगे/जीवोगी। शा तुम्हे । } = तुम दोनों/तुम सब, मध्यम पुरुष बहुवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम)। अपभ्रंश रचना सौरभ 35 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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