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पाठ80
अव्यय
ताम
जहा
तहा
जह
11
तह
||
||
॥
. = जब तक,
जइ = यदि = तब तक,
= तो जेत्थु = जहाँ,
= जिस प्रकार तेत्थु = वहाँ,
= उस प्रकार जेम = जिस प्रकार,
= जैसे तेम = उस प्रकार,
= वैसे केत्थु = कहाँ,
इय = इस प्रकार एत्थु = यहाँ,
मा . = नहीं अज्जु = आज,
तम्हा = इसलिए म = मत,
जम्हा = चूंकि ण = नहीं,
विणा = बिना णवि = नहीं,
वि = भी
अभ्यास (1) जब तक तुम जागते हो, तब तक मैं चित्र देखता हूँ। (2) जहाँ तुम्हारा गाँव है, वहाँ मेरा घर है। (3) जिस प्रकार वह सुख चाहता है, उसी प्रकार मैं सुख चाहता हूँ। (4) तुम कहाँ रहतें हो ? (5) मैं यहाँ रहता हूँ। (6) तुम मत हँसो। (7) राम नहीं उठता है। (8) यदि तुम कहते हो, तो मैं यह काम करता हूँ।
"ऐसे शब्द जिनके रूप में कोई विकार-परिवर्तन उत्पन्न न हो और जो सदा एक से- सभी विभक्ति, सभी वचन और सभी लिंगों में एक समान रहें, अव्यय कहलाते हैं।" (लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार जिनके रूपों में घटती-बढ़ती न हो, वह अव्यय है।)
(अभिनव प्राकृत व्याकरण, 213)
अपभ्रंश रचना सौरभ
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