________________
षष्ठी बहुवचन
नरिंद
नरिंदा
नरिंद
नरिदाहं
रज्ज
रज्जा
रज्जहं
रज्जाहं
माया
माय
मायाहु
मायहु
जुवइ
जुवई
जुवइहु
जुवईहु
पुत्ती
पुत्ति
पुत्तीहु
पुत्तिहु
अकर्मक क्रियाएँ
हस = हँसना,
जग्ग = जागना,
वड्ढ = बढ़ना,
णिज्झर
138
= झरना,
पुत्त / पुत्ता
सासण / सासणु/ सासणा तं
ससा / सस
माया / माय
धणु / धण / धणा
Jain Education International
हसहिं / आदि = राजाओं के पुत्र हँसते हैं ।
रक्खइ / आदि
जग्गइ / आदि
=
=>
सकर्मक क्रियाएँ. रक्ख = रक्षा करना,
इच्छ 1= चाहना,
गच्छ = जाना, कोक = बुलाना
राज्यों का शासन उसकी रक्षा करता है ।
For Private & Personal Use Only
माताओं की बहिन जागती है।
जग्गइ / आदि = युवतियों की माता जागती है।
वड्ढइ / आदि = पुत्रियों का धन बढ़ता है।
अपभ्रंश रचना सौरभ
www.jainelibrary.org