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त/ता/तसु/तासु
__ = उसका/उसके लिए (पु. व. नपुं.) । तहो/ताहो/तस्सु
ता/त/ताहे/तहे = उसका/उसके लिए (स्त्री)
अकर्मक क्रियाएँ हस = हँसना, जग्ग = जागना, वड्ढ = बढ़ना, णिज्झर = झरना,
सकर्मक क्रियाएँ रक्ख = रक्षा करना, इच्छ = चाहना, गच्छ = जाना, कोक = बुलाना
षष्ठी एकवचन
नरिंद
नरिंदा
नरिंदसु
हसइ/आदि
= राजा का पुत्र हँसता है।
नरिंदासु ) पुत/पुत्ता/पुत्तु/पुत्तो नरिंदहो नरिंदाहो
नरिंदस्सु
रज्ज
रज्जा रज्जसु रज्जासु रज्जहो
तं
रक्खइ/आदि
सासण/सासणु/ सासणा
= राज्य का शासन उसकी रक्षा करता है।
रज्जाहो
रज्जस्सु
माया
माय मायाहे देससा/सस
जग्गइ/आदि
= माता की बहिन
जागती है।
मायहे
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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