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मायाए/मायए
कहा/कह/ ] सुणिआ/सुणिअ 1 कहाउ/कहउ/ सुणिआउ/सुणिअउ/= माता के द्वारा कथाएँ कहाओ/कहओJ सुणिआओ/सुणिअओ सुनी गई।
उपर्युक्त सभी वाक्य कर्मवाच्य के हैं। इनमें कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा और क्रिया कर्म के लिंग और वचन के अनुसार होती है। भूतकालिक कृदन्त को स्त्रीलिंग में प्रयोग करने से पहिले उसका स्त्रीलिंग बनाना चाहिए। 'आ' प्रत्यय जोड़ने से भूतकालिक कृदन्त शब्द स्त्रीलिंग बन जाते हैं। जैसे - सुणिअ-सुणिआ, देखिअ-देखिआ, पणमिअ-पणमिआ आदि। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ सकर्मक हैं।
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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