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________________ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणम् नाणतिगदंसणतिगं, देसे मीसे अनाणमीसं तं । केवलदुगमणपज्जववज्जा अस्संजयम्मि नव॥ ४७ ॥ अन्नाणतिगअभव्वे, सासणमिच्छे य पंच उवओगा। दो दंसण तियनाणा, ते अविभंगा असन्निम्मि॥ ४८ ॥ मणनाणचक्खुरहिया, दस उ अणाहारगेसु उवओगा। इय गइयाइसु नयमयनाणत्तमिणं तु जोगेसु॥ ४९ ॥ तणुवइमणेसु कमसो, दुचउतिपंचा दुअट्ठचउचउरो। तेरसदुबारतेरस, गुणजीवुवओगजोग त्ति ॥ ५० ॥ लेसा उ तिन्नि पढमा, नारगविगलग्गिवाउकाएसु। एगिंदिभूतरूदगअसन्निसुं पढमिया चउरो॥ ५१ ॥ केवलजुयलअहक्खायसुहुमरागेसु सुक्कलेसेव । लेसासु छसु सठाणं, गइयाइसु छावि सेसेसुं॥ ५२ ॥ गइयाइसु अप्पबहुं, भणामि सामन्नओ सठाणे वि। नरनिरयदेवतिरिया, थोवा दुअसंखऽणंतगुणा ॥ ५३॥ पणचउतिदुएगिंदी, थोवा तिन्नि अहिया अणंतगुणा । तसतेउपुढविजलवाउहरियकाया पुण कमेणं ॥ ५४॥ थोवा असंखगुणिया, तिन्नि विसेसाहिया अणंतगुणा। मणवयणकायजोगी, थोवाऽसंखगुणि अणंतगुणा ।। ५५ ॥ पुरिसेहिं तो इत्थी, संखेजगुणा नपुंसणंतगुणा। माणी कोही मायी लोभी कमसो विसेसहिया ॥ ५६ ॥ मणपज्जविणो थोवा, ओहीनाणी तओ असंखगुणा। मइसुयनाणी तत्तो, विसेसअहिया समा दो वि॥ ५७॥ विब्भंगिणो असंखा, केवलनाणी तओ अणंतगुणा। तत्तोऽणंतगुणा दो, मइसुयअन्नाणिणो तुल्ला ॥ ५८॥ सुहुमपरिहार-अहखाय-छेयसामइय-देसजइअजया। थोवा संखेज्जगुणा, चउरो अस्संखऽणंतगुणा ॥ ५९ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002681
Book TitleJinvallabhsuri Granthavali
Original Sutra AuthorVinaysagar
Author
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2004
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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