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आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणम्
मणपज्जव-केवल-दुगसंजय-देसजय-मीसदिट्ठीसु। सन्नीपज्जो चक्खुम्मि तिन्नि छव पजियर चरमा ॥ २३ ॥ सत्त उ सासाणे बायराइ छ अपज्ज सन्निपज्जो य। तेउल्लेसे बायरअपजत्तो दुविह सन्नी य॥ २४॥ अस्सन्नि आइ बारस, अणहारे अट्ठ सत्तअपजत्ता। सन्नी पज्जत्तो तह, इय गइयाइसु जियट्ठाणा ॥ २५ ॥ मिच्छे सासणमीसे अविर यदेसे पमत्तअपमत्ते। नियट्टि-अनियट्टि-सुहुमुवसमखीणसजोगिअजोगिगुणा ॥ २६॥ चत्तारि देवनरएसु पंच तिरिएसु चउदस नरेसु। इगिविगलेसुं दो दो, पंचिंदीसुं चउद्दस वि॥ २७ ॥ भूदगतरूसु दो दो, इगमगणिवाउसु चउदस तसेसु। जोए तेरस वेए, तिकसाए नव दस य लोभे ॥ २८॥ मइसुयओहिदुगे नव, अजयाइ जयाइ सत्त मणनाणे। केवलदुगम्मि दो तिन्नि दो व पढमा अनाणतिगे॥ २९॥ सामाइयछे एसुं, चउरो परिहार दो पमत्ताई। देससुहुमे सगं पढमचरमचउ अजयअहखाए॥ ३०॥ बारस अचक्खुचक्खुसु, पढमा लेसासु तिसु छ दुसु सत्त। सुक्काए तेरस गुणा, सव्वे भव्वे अभव्वेगं॥ ३१ ॥ वेयगखइगउवसमे, चउरो एक्कारसट्ठ तुरियाई । सेसतिगे सट्ठाणं, सन्निसु चउदस असन्निसु दो॥ ३२ ॥ आहारगेसु पढमा, तेरसऽणाहारगेसु पंच इमे। पढमंतिमदुगअविरय, गइयाइसु इय गुणट्ठाणा ॥ ३३॥ सच्चं मोसं मीसं, असच्चमोसं मणं तइ वई य। उरलविउव्वाहारा, मीसा कम्म इगमिय जोगा॥ ३४॥
१. 'तुरियाई' इति मू० अ० बी०।
२. 'अंविरेया' इति मू० अ० बी० ।
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