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________________ टीका नाम क्र० ग्रंथनाम ३१. क्षुद्रोपद्रवहरपार्श्वजिन स्तोत्र ( नमिर सुरासुर० ) * ३२. महावीर - विज्ञप्तिका (सुरनरवर० ) * ३३. महावीरस्वामी स्तोत्र (भावारिवारण०) टीका ३४. सर्व जिनेश्वर स्तोत्र ( प्रीतिप्रसन्न० ) * ३५. पञ्चकल्याणक स्तोत्र ( प्रीतिद्वात्रिंश० ) * ३६. कल्याणक स्तोत्र ( पुरन्दर पुर० ) * ३७. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( नमस्यद्गीर्वाण ० ) * ३८. पाश्वनाथस्तोत्र ( पायात्पार्श्व ० ) * ३९. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( देवाधीश० ) * ४०. स्तम्भन - पार्श्वनाथ स्तोत्र ( समुद्यन्तो ० ) * ४१. स्तम्भन - पार्श्वनाथ स्तोत्र (विनयविनमद्० ) * ■ * टीका टीका* टीका* टीका* ** * चिह्नान्तर्गत मूल ग्रंथ प्रकाशित हैं। अवचूरि* बालावबोध* पादपूर्तिस्तोत्र प्रस्तावना Jain Education International टीकाकार ४२. स्तम्भन - पार्श्वनाथ स्तोत्र चित्रकाव्यात्मक (शक्तिशूलेषु० ) * ४३. स्तम्भन - पार्श्वनाथ स्तोत्र चक्राष्टक (चक्रे यस्य नति:) * ४४. सरस्वती स्तोत्र ( सरभसलसद्०) ४५. नवकार स्तोत्र ( किं किं कप्पतरु० ) I जयसागरोपाध्याय मेरुसुन्दरोपाध्याय क्षेमसुन्दरोपाध्याय चारित्रवर्धन मतिसागर अज्ञात कर्तृक मेरुसुन्दरोपाध्याय पद्मराजगणि चर्चरी टीका (अपभ्रंश काव्यत्रयी पृष्ठ १९) में जिनपालोपाध्याय ने आगमोद्धार तथा प्रचुर प्रशस्ति का उल्लेख किया गया है जो अभी तक अप्राप्त है। रचना समय चिह्नान्तर्गत ग्रंथ विविध संस्थाओं से प्रकाशित हैं । प्रकाशन संस्थाओं के नाम के लिए वल्लभभारती प्रथम खण्ड देखें । चिह्नान्तर्गत ग्रंथ अद्यावधि अप्रकाशित हैं । १५वीं शता० १५वीं शता० १५वीं शता० १५वीं शता० १५वीं शता For Private & Personal Use Only सं० १६५९ www.jainelibrary.org
SR No.002681
Book TitleJinvallabhsuri Granthavali
Original Sutra AuthorVinaysagar
Author
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2004
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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