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संस्थाकीय निवेदन श्री आर्य जय कल्याण केन्द्र प.पू.आ.भ.श्री कलाप्रभसागरसूरि जी महाराज साहब की प्रेरणा से जैन साहित्य के प्रकाशनार्थ इस संस्था की स्थापना वीर संवत् २०३० में की गई थी। उत्तरोतर विकास के पथ पर प्रयाण करती हुई इस संस्था को अचल गच्छाधिपति प.पू.आ.भ. एवं अन्य पूज्य भगवंतो के मंगल आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त होते रहे हैं। तदुपरान्त इस संस्था को स्व. संघवी श्री लखमशी घेलाभाई सावला के परिवार की ओर से बम्बई में घाटकोपर (पूर्व) में मेघरत्न एपार्टमेन्ट की प्रथम मंजिल पर १०१ वर्ष की वयोवृद्ध माता श्री स्व. मेघबाई घेलाभाई पुनशी सावला की पुण्यस्मृति में 'मेघभवन' की जगह प्राप्त होने पर विशाल ज्ञान भंडार का प्रारम्भ भी किया गया है।
___ 'आर्य जय कल्याण केन्द्र' के नामाभिधान में अचलगच्छ के महान आचार्यों दादा गुरु श्री आर्यरक्षितसूरीश्वर जी म.सा., श्री जयसिंहसूरीश्वर जी म.सा., श्री जयशेखरसूरीश्वर जी म.सा., श्री जयकीर्तिसूरीश्वर जी म.सा., श्री जयकेशरीसूरीश्वर जी म.सा. तथा श्री कल्याणसागरसूरीश्वर जी म.सा. की स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं।
१०,००० ग्रन्थों के संग्रह से सम्पन्न इस संस्था द्वारा अभी तक १०० से अधिक प्रकाशन हो चुके हैं। तदुपरान्त प्राचीन और अर्वाचीन जैन शास्त्रीय ग्रंथ, शब्दकोश, साहित्यकोश प्रकाशन के अलावा हस्तलिखित प्रतियों एवं उनकी जेरोक्स नकलों का संग्रह, संशोधित पुनर्लेखन, संवर्धन आदि की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ विशाल स्तर पर की जा रही हैं।
समस्त संघों एवं साहित्यप्रेमी भविकजनों से इस सम्यक् ज्ञान की भक्ति में सहयोग देने की विनम्र अपील है। जय जिनेन्द्र !
निवेदक आर्य-जय-कल्याण केन्द्र
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