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विज्ञप्ति ।
श्रीमद् राजचन्द्रके सम्बन्धकी चर्चा करते हुए एक-दो बार महात्मा गाँधीजीने उनकी रचनाओंका भिन्न भिन्न भाषाओंमें तथा खास कर भारतकी भावी राष्ट्रभाषा हिन्दीमें अनुवाद करा कर प्रकाशित करनेकी मुझे सूचना की थी । आपकी इस उपयुक्त सूचनाका मुझे बड़ा ही खयाल रहा करता था; परन्तु अब तक वैसा योग न मिलनेके कारण मैं उसके पालन करनेमें असमर्थ रहा । परमात्माकी कृपासे मैं अब ऐसा योग लाभ कर सका हूँ और जिसके फल-स्वरूप ही यह श्रीमद् राजचंद्रकी 'आत्मसिद्धि' नामकी छोटीसी कृति--जिसमें कि संक्षिप्तमें सर्व दर्शनोंका सार भरा हुआ है-लेकर हिन्दी-पाठकोंकी सेवामें उपस्थित हूँ । यह कृति मूल गुजराती भाषामें है, उसके सहारेसे संस्कृत पद्योंकी रचना श्रीयुक्त न्यायतीर्थ पंडित बहेचरदासने की है और उसका हिन्दी अनुवाद तथा श्रीमद् राजचन्द्रके जीवन-परिचयका सम्पादन श्रीयुक्त पं० उदयलाल काशलीवालने किया है। मुझे आशा है कि मेरा यह प्रयत्न जनताको लाभकारक होगा। इसके अतिरिक्त श्रीमद् राजचन्द्रकी अन्य रचनाओंके भी हिन्दीमें प्रकाशित करनेका प्रयत्न शुरू है।
मनसुखलाल रवजीभाई महेता।
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