________________
१६१
की विधि
मक्षत्र : स्वरूप, स्वामी एवं संज्ञाएँ ११५ लग्न के शुद्धाशुद्ध अवगत करने के योग : स्वरूप और स्वामी ११७ . अन्य उपाय करण : स्वरूप और स्वामी ११८ नवग्रह स्पष्ट करने की विधि धार : स्वरूप और संज्ञाएँ
सूर्य साधन
१६३ नक्षत्रों के चरणाक्षर १२० __ मंगल साधन
१६३ अक्षरानुसार राशिज्ञान
१२१ बुध साधन राशियों का परिचय
चन्द्रस्पष्ट विधि राशिस्वरूप का प्रयोजन,
चन्द्रगति साधन
१६५ शत्रुता-मित्रता-स्वामी
चन्द्रसारणी द्वारा चन्द्र स्पष्ट करने और अंगविभाग
१६५ चरसारणी
१२४ नक्षत्रोपरि स्पष्ट राश्यादि आवश्यक परिभाषाएँ १२८ चन्द्रसारणी
१६६ जातक जन्म-पत्र-
निर्माण गणित १२८ भयात गत घटी पर चन्द्रसारणी १६७ स्थानीय सूर्योदय निकालने की विधि १२८ सर्वक्ष पर गतिबोधक स्पष्ट सारणी १६७ सूर्योदय साधन का उदाहरण १२८ । जन्मपत्री लिखने की प्रक्रिया १६८ स्टैण्डर्ड टाइम को लोकल टाइम बनाने संस्कृत भाषा में जन्मपत्री लिखने की विधि और उदाहरण १३० की विधि
१६९ अक्षांश और देशान्तर बोधक सारणी- द्वादश भाव स्पष्ट करने की विधि
भारत के समस्त नगरों के लिए १३१ दशम साधन का उदाहरण १७२ घेलान्तर सारणी
भुक्तांश साधन द्वारा दशम का इष्टकाल बनाने के नियम और
उदाहरण
१७३ उदाहरण
१४६ दशम भाव साधन करने के अन्य भयात और भभोग साधन १४८ नियम
१७३ लग्न निकालने की प्रक्रिया १४९ दशम लग्नसारणी
१७४ पलभा-ज्ञान सारणी
१५० लग्न से दशम भाव साधन सारणी १७७ अयनांश निकालने की विधि और
अन्य भाव साधन करने की प्रक्रिया १७८ उदाहरण १५३ द्वादश भावों के नाम
१८० लग्नशुद्धि का विचार १५३ द्वादश भाव स्पष्ट चक्र
१८१ लग्नसारणी
१५४ चलित चक्र अवगत करने का लग्न निकालने की सुगम विधि १५६ नियम प्राणपद साधन और उसके द्वारा
दशवर्ग विचार लग्नशुद्धि
१५७ गृह गुलिक साधन
१५८ होरा साधन और उसका उदाहरण १८२ गुलिक लग्न का उपयोग
१६. द्रेष्काण साधन और उसका उदाहरण १८३
१७.
१८१
१८२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org