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________________ कार्यसिद्धि की समय-मर्यादा-कोई पूछे हमारा कार्य कब तक होगा? ऐसे प्रश्न में उस समय भी तिथिसंख्या, वारसंख्या और नक्षत्रसंख्या का योग कर, योगफल को ३ से गुणा कर ६ और जोड़ दें । इस योगफल में ९ का भाग देने से १ शेष में पक्ष, २ में मास, ३ शेष में ऋतु, ४ शेष में अयन अर्थात् ६ मास, ५ शेष में दिन, ६ शेष में रात, ७ शेष रहे तो प्रहर, ८ शेष में घटी और ९ शेष रहे तो एक मिनट में कार्य होने की अवधि समझना चाहिए । । उदाहरणहरि पूछने आया कि मेरा कार्य कितने समय में होगा ? जिस दिन हरि आया उस दिन सप्तमी तिथि, गुरुवार और मघा नक्षत्र था । इन तोनों की संख्या का योग किया ७+५+ १० = २३, २२४३%६६ + ६ =७२, ७२:९ =८ ल. ९ शे., १ मिनट में अर्थात् तत्काल ही पृच्छक का कार्य सिद्ध होगा। विवाह प्रश्न-पृच्छक पूछे कि मेरा या अन्य किसी का विवाह होगा अथवा नहीं ? यदि होगा तो कम परिश्रम से होगा या अधिक से ? इस प्रकार के प्रश्न की पिण्डांक-संख्या में ८ से भाग देने पर १ शेष रहे तो अनायास ही विवाह, २ शेष रहे तो कष्ट से विवाह, ३ शेष रहे तो विवाह का अभाव, ४ शेष में जिस कन्या के साथ विवाह होनेवाला है उसकी मृत्यु, ५ में किसी कुटुम्बी की मृत्यु, ६ शेष में विवाह के समय राजभय, ७ शेष रहे तो दम्पति का मरण अथवा ससुर का मरण और ८ शेष रहे तो सन्तान की मृत्यु समझनी चाहिए । उदाहरण-पृच्छक का प्रश्न-वाक्य यमुना है जिसकी पिण्डांक संख्या १८५ है, इसमें ८ से भाग दिया १८५८ = ३२ लब्ध, १ शेष । यहाँ १ शेष रहा है अतः आसानी से बिना कष्ट के विवाह होगा, ऐसा फल कहना चाहिए। चमत्कार प्रश्न १-जन्मपत्री मृतक की है, या जीवित की-इस प्रश्न में जन्मलग्न, अष्टम स्थान की राशि और प्रश्नलग्न इन तीनों की संख्या को जोड़कर जन्मकुण्डली के अष्टमेश की राशिसंख्या से गुणा कर लग्नेश की राशिसंख्या से भाग देने पर विषम अंक २३।५।७।९।११ शेष रहें तो जीवित की और सम अंक २।४।६।८।१०।१२ शेष रहें तो मृतक की पत्रिका होती है । उदाहरण-प्रश्नलग्न तुला, जन्मलम्न मीन, अष्टमेश की राशि ९, लग्नेश की राशि ५ है। ७+ १२+७=२६४९ =२३४ : ५=४६ लब्ध ४ शेष । अतएव मृतक की जन्मपत्रिका कहनी चाहिए । १ तिथि गणना प्रतिपदा से, नक्षत्र गणना अश्विनी से और वार गणना रविवार से ली जाती है। भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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