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________________ सुख-दुख-पिण्डांक में ३८ जोड़कर २ का भाग देने से एक शेष में सुख और शून्य में दुख समझना चाहिए। गमनागमन-यात्रा के प्रश्न में पिण्डांक में ३३ जोड़कर ३ का भाग देने से १ शेष रहे तो तत्काल यात्रा, दो शेष में यात्रा का अभाव और शून्य शेष में पीड़ा और कष्ट समझना चाहिए। ___ जीवन-मरण-किसी रोगो या अन्य किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में कोई पूछे कि अमुक जीवित रहेगा या मरेगा अथवा जीवित है या मर गया है ? तो इस प्रकार के प्रश्न में पिण्डांक में ४० जोड़कर ३ का भाग देने से एक शेष रहने से जीवित; दो रहने से कष्टसाध्य और शून्य शेष रहने से मृत समझना चाहिए। वर्षाप्रश्न-वर्षा होगी या नहीं ? इस प्रकार के प्रश्न में पिण्डांक में ३२ जोड़कर ३ का भाग देने से एक शेष में वर्षा, दो में अल्पवृष्टि और शून्य शेष में वर्षा का अभाव ज्ञात करना चाहिए । गर्भ का प्रश्न–गर्भ है या नहीं, इस प्रकार के प्रश्न में पिण्डांक में २६ जोड़कर ३ का भाग देने से एक शेष रहे तो गर्भ, दो शेष में सन्देह और शून्य शेष में गर्भ का अभाव समझना चाहिए। उदाहरण-देवदत्त अपने मुकदमा के सम्बन्ध में पूछने आया कि मैं उसमें विजय प्राप्त करूँगा या नहीं ? उसके मुख से फल का नाम उच्चारण कराया तो उसने नीबू का नाम लिया। इस प्रश्न-वाक्य का पिण्डांक बनाने के लिए स्वर-व्यंजनों का विश्लेषण किया तो न + ई + ब् + ऊ = ३५ + १८+ २६ + २२ = १०१ पिण्डांक । जय-पराजय का प्रश्न होने के कारण पिण्डांक में ३४ जोड़ा तो१०१ + ३४ - १३५ : ३= ४५ लब्ध, शेष शून्य रहा। अतएव यहाँ मुक़दमे में पराजय समझना चाहिए। इसी प्रकार उपर्युक्त सभी प्रकार के प्रश्नों के उदाहरण समझ लेना चाहिए । प्रकारान्तर से पुत्र-कन्या प्रश्न-यदि कोई प्रश्न करे कि कन्या होगी या पुत्र ? तो प्रश्न समय के तिथि, वार, नक्षत्र और योग को जोड़कर उसमें नाम की अक्षर संख्या को भी जोड़कर ७ से भाग देना चाहिए। भाग देने से सम अंक-२।४।६ शेष रहें तो कन्या और विषम अंक-१।३।५७ शेष रहें तो पुत्र का जन्म कहना चाहिए । प्रश्नपिण्डांक में ३ का भाग देने से १ शेष में पुत्र का जन्म, २ में कन्या का जन्म और • में गर्भ का अभाव समझना चाहिए । उदाहरण-प्रश्नकर्ता का प्रश्नवाक्य यमुना नदी है, इसका विश्लेषण किया तो-य् + अ + म् + उ + न् + आ हुआ। १६ + १२ + ८६ + १५ + ३५ + २१% १८५ पिण्डांक, १८५ : ३ = ६१ लब्ध, २ शेष, यहाँ दो शेष रहा है, अतः कन्या का जन्म समझना चाहिए । पंचम अध्याय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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