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७ - पृच्छक जिस दिन पूछ रहा है, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर उस दिन तक को तिथिसंख्या, प्रहरसंख्या, वारसंख्या, नक्षत्रसंख्या को जोड़कर, योगफल में से एक घटाकर सात का भाग देने से विषम अंक शेष रहे तो पुत्र और सम अंक शेष रहे तो कन्या होती है ।
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– गर्भिणी के नाम के अक्षरों में वर्तमान तिथिसंख्या तथा पन्द्रह जोड़कर ९ का भाग देने से विषम अंक शेष रहे तो पुत्र और सम अंक होती है ।
शेष रहे तो कन्या
९ – तिथि, वार, नक्षत्र - संख्या में गर्भिणी के नाम के अक्षरों को जोड़कर सात का भाग देने से एकादि शेष में रविवार, सोमवार आदि होते हैं । इस प्रक्रिया से रवि, भौम और गुरुवार निकले तो पुत्र; शुक्र, चन्द्र और बुधवार निकले तो कन्या एवं शनिवार निकले तो क्षीण सन्तति समझना चाहिए ।
१० – गर्भिणी के नाम के अक्षरों में २० का अंक, वर्तमान तिथिसंख्या और ४ का अंक जोड़कर ९ का भाग देने से सम अंक शेष रहे तो कन्या और विषम अंक शेष रहे तो पुत्र उत्पन्न होता है ।
११ - यदि प्रश्नकर्ता प्रश्न करते समय अपने दाहिने अंग का स्पर्श करते हुए प्रश्न करे तो पुत्र और बायें अंग का स्पर्श करते हुए प्रश्न करे तो कन्या का जन्म होता है ।
मूक प्रश्न विचार
यदि प्रश्न लग्न मेष हो तो प्रश्नकर्ता के मन में मनुष्यों की चिन्ता, वृष हो तो चौपायों या मोटर की चिन्ता, मिथुन हो तो गर्भ की चिन्ता, कर्क हो तो व्यवसाय की चिन्ता, सिंह हो तो जीव की चिन्ता, कन्या हो तो स्त्री की चिन्ता, तुला हो तो धन की चिन्ता, वृश्चिक हो तो रोगी की चिन्ता, मकर हो तो शत्रु की चिन्ता, कुम्भ हो तो स्थान की चिन्ता और मीन हो तो दैव सम्बन्धी चिन्ता समझनी चाहिए ।
१ -- लग्नेश या लाभेश से जिस स्थान में चन्द्रमा बैठा हो उसी भाव की चिन्ता पृच्छक के मन में होती है ।
२ -- बलवान् चन्द्रमा से जिस स्थान में लग्नेश बैठा हो उस भाव का प्रश्न जानना चाहिए ।
३ -- जिस स्थान में चन्द्रमा बैठा हो उस स्थान का प्रश्न या उच्च और सबसे अधिक बलवान् ग्रह जिस भाव में बैठा हो उस भाव का प्रश्न जानना चाहिए ।
४ - लाभेश से जो ग्रह बलवान् ( निसर्ग, काल, चेष्टा, दृष्टि, दिशा आदि बल से युक्त ) हो उससे चन्द्रमा जिस भाव में हो उस भाव- सम्बन्धी प्रश्न प्रश्नकर्ता के मन में जानना चाहिए ।
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भारतीय ज्योतिष
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