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का प्रयोजन शुभाशुभत्व की जानकारी प्राप्त करना है । यदि चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और अमावास्या इनमें से कोई तिथि आती हो तो गृह अशुभ होता है । शेष तिथियों के आने पर घर को शुभ समझा जाता है । योग के सम्बन्ध में भी यह ध्यान रखना चाहिए कि अतिगण्ड, शूल, विष्कम्भ, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात और वैधृति नितान्त अशुभ हैं । शेष योग प्रायः शुभ हैं । आयु का तात्पर्य स्पष्ट है कि अधिक दिन रहनेवाला मकान शुभ और कम दिन रहनेवाला अशुभ होता है ।
स्वामी के नक्षत्र से विचार करने का अभिप्राय यह है कि स्वामी तथा घर का यदि एक ही नक्षत्र हो तो मृत्यु होती है, परन्तु यदि राशि एक न हो तो यह दोष नहीं आता है । यहाँ नाड़ी वेध को दोषकारक नहीं माना गया है ।
इस सन्दर्भ में राशि ज्ञात करने की विधि यह है कि अश्विनी, भरणी और कृत्तिका नक्षत्र की मेष राशि; मघा, पूर्वाफाल्गुनी और उत्तराफाल्गुनी की सिंह राशि तथा मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा की धनु राशि होती है । और शेष नक्षत्रों में उचित क्रम से नौ राशियों की अवस्था अवगत कर लेनी चाहिए ।
आय, वार, नक्षत्र, तिथि और योग में क्रमशः ध्वज, धूम, सिंह, श्वान, गाय, गर्दभ, हस्ति और काक; रवि, सोम, भोम, बुध, गुरु, शुक्र और शनि; अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा और रेवती; प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा - अमावस्या एवं विष्कम्भ, प्रीति, आयुष्मान्, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतीपात, वरीयान् परिघ, शिव, सिद्धि, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र और वैधृति अवगत करना चाहिए । पिण्ड द्वारा घर का शुभाशुभत्व पूर्णतया जाना जा सकता है ।
गृह-निर्माण के लिए सप्तसकार योग
शनिवार, स्वाती नक्षत्र, सिंहलग्न, श्रावण मास में गृह निर्माण करने से हाथी,
पौत्र आदि की वृद्धि होती है । उक्त योग सप्तसकार योग कहलाता है । इसमें गृह -
निर्माण करने का उत्तम फल बताया गया है । गृह निर्माण प्रायः होता है, कृष्णपक्ष में गृह निर्माण करने से चोरी का भय रहता है। और अगहन के महीने गृह निर्माण के लिए उत्तम माने गये हैं ।
शुक्लपक्ष में श्रेष्ठ श्रावण, वैशाख
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शुक्लपक्ष, सप्तमी तिथि, शुभयोग और घोड़ा, धन-सम्पत्ति की प्राप्ति के साथ पुत्र
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भारतीय ज्योतिष
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