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होकर बली ग्रहों से युत या दृष्ट केन्द्र, त्रिकोण या लाभस्थान में हो और लग्नेश मैत्री तथा इत्थशाल आदि शुभ सम्बन्ध करता हो तो धनलाभ होता है। इसी प्रकार अन्य भावों का विचार करना चाहिए।
स्वास्थ्य विचार
____ बलवान् वर्षेश, लग्नेश, मुन्थेश तथा मुन्था शुभग्रहों से युक्त, दृष्ट, केन्द्र या त्रिकोण में हों तो शरीर स्वस्थ और सुख एवं उक्त ग्रह नीच, बलहीन, अस्तंगत, शत्रुक्षेत्र में-६।८।१२वें स्थान में पापग्रहों से युत, दृष्ट हों तो महाकष्ट, रोग, पीड़ा एवं शुभ और पापग्रह दोनों से युत या दृष्ट हों तो मिश्रित फल होता है ।
इन्हीं नियमों से अन्य भावों का भी विचार कर लेना चाहिए।
मासप्रवेश कुण्डली और ग्रहस्पष्टों से प्रत्येक मास का फलाफल ग्रहों के बल तथा स्थित स्थानानुसार निकाल लेना चाहिए। सहम फल
सहम राशि का स्वामी अपने उच्च , अपने घर, अपने हद्दा, अपने नवमांश में स्थित हो और लग्न को देखता हो तो बली कहा जाता है। और सहम राशि का स्वामी उच्च का, स्वराशि का होकर भी लग्न को नहीं देखता हो तो निर्बल कहा जाता है। जन्मसमय सूर्य जिस राशि में बैठा हो उसका स्वामी तथा चन्द्रमा जिस राशि में बैठा हो उसका स्वामी; इन दोनों ग्रहों के बलाबल का विचार भी कर लेना आवश्यक है ।
सहम का फल अपनी राशि के स्वामी की दशा में प्राप्त होता है ।
पुण्य सहम-बली पुण्य सहम शुभग्रह या अपने राशीश से युत या दृष्ट हो तो धर्म और धन की वृद्धि होती है। यदि निर्बल पुण्य सहम पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो संचित धन का नाश और अधर्म की वृद्धि होती है। पुण्य सहम वर्ष कुण्डली में ३।८।१२वें भाव में हो तो धर्म, धन और यश का नाश करता है और शुभग्रहों से दृष्ट या युत हो तो नाना प्रकार की विभूतियों की वृद्धि होती है। जिस वर्ष में पुण्य सहम शुभ फल देनेवाला होता है; उस वर्ष व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख होते हैं। उसकी उन्नति सर्वतोमुखी होती है।
कार्यसिद्धि सहम-कार्यसिद्धि सहम शुभग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो व्यक्ति की जय, सम्मान, अर्थलाभ होता है।
विवाह सहम का फल-वर्षकाल में विवाह सहम अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो तथा अन्य शुभग्रहों से युत अथवा दृष्ट हो या शुभग्रहों से मुत्थशिल करता हो तो उस वर्षपत्रवाले का विवाह होता है या उसे उस वर्ष स्त्रीसुख की प्राप्ति होती है। विवाह सहम पापग्रहों से युत या अष्टमेश से युत अथवा दृष्ट हो तो विवाह सुख नहीं होता।
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