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यद्यपि आत्मा के स्वरूप का स्पष्टीकरण करना योग या दर्शन का विषय है; लेकिन ज्योतिषशास्त्र भी इस विषय से अपने को अछूता नहीं रखता। भारत की प्रमुख विशेषता आत्मा की श्रेष्ठता है। इस प्रिय वस्तु की प्रासि के लिए सभी दार्शनिक या वैज्ञानिक अपने अनुभवों की थैली बिना खोले नहीं रह सकते । फलतः दर्शन के समान ज्योतिष ने भी आत्मा के श्रवण, मनन और निदिध्यासन पर गणित के प्रतीकों द्वारा जोर दिया है । यों तो स्पष्ट रूप से ज्योतिष में आत्मसाक्षात्कार के उक्त साधनों का कथन नहीं मिलेगा, लेकिन प्रतीकों से उक्त विषय सहज में हृदयगम्य किये जा सकते हैं। प्रायः देखा भी जाता है कि उत्कृष्ट आत्मज्ञानी ज्योतिष रहस्य का वेत्ता अवश्य होता है। प्राचीन या अर्वाचीन युग में दर्शनशास्त्र से अपरिचित व्यक्ति ज्योतिविद् के पद पर आसीन होने का अधिकारी नहीं माना गया है।
__ज्योतिषशास्त्र का अन्य नाम ज्योतिःशास्त्र भी आता है, जिसका अर्थ प्रकाश देनेवाला या प्रकाश के सम्बन्ध में बतलानेवाला शास्त्र होता है; अर्थात् जिस शास्त्र से संसार का मर्म, जीवन-मरण का रहस्य और जीवन के सुख-दुख के सम्बन्ध में पूर्ण प्रकाश मिले वह ज्योतिषशास्त्र है। छान्दोग्य उपनिषद् में ब्रह्म का वर्णन करते हुए बताया है कि, "मनुष्य का वर्तमान जीवन उनके पूर्व-संकल्पों और कामनाओं का परिणाम है तथा इस जीवन में वह जैसा संकल्प करता है, वैसा ही यहाँ से जाने पर बन जाता है। अतएव पूर्ण प्राणमय, मनोमय, प्रकाशरूप एवं समस्त कामनाओं और विषयों के अधिष्ठानभूत ब्रह्म का ध्यान करना चाहिए।" इससे स्पष्ट है कि ज्योतिष के तत्त्वों के आधार पर वर्तमान जीवन का निर्माण कर प्रकाशरूप--ज्योतिःस्वरूप ब्रह्म का सान्निध्य प्राप्त किया जा सकता है।
___ स्मरण रखने की बात यह है कि मानव जीवन नियमित सरल रेखा की गति से नहीं चलता, बल्कि इसपर विश्वजनीन कार्यकलापों के घात-प्रतिघात लगा करते हैं । सरल रेखा की गति से गमन करने पर जीवन की विशेषता भी चली जायेगी; क्योंकि जबतक जगत् के व्यापारों का प्रवाह जीवन रेखा को धक्का देकर आगे नहीं बढ़ाता अथवा पीछे लौटकर उसका ह्रास नहीं करता तबतक जीवन की दृढ़ता प्रकट नहीं हो सकती। तात्पर्य यह है कि सुख और दुख के भाव ही मानव को गतिशील बनाते हैं, इन भावों की उत्पत्ति बाह्य और आन्तरिक जगत् की संवेदनाओं से होती है। इसीलिए मानव जीवन अनेक समस्याओं का सन्दोह और उन्नति-अवनति, आत्मविकास और ह्रास के विभिन्न रहस्यों का पिटारा है। ज्योतिषशास्त्र आत्मिक, अनात्मिक भावों और रहस्यों को व्यक्त करने के साथ-साथ उपर्युक्त सन्दोह और पिटारे का प्रत्यक्षीकरण कर देता है। भारतीय ज्योतिष का रहस्य इसी कारण अतिगूढ़ हो गया है। जीवन के
१. मनोमयः प्राणशरीरो भारूपः सत्यसंकल्प आकाशात्मा सर्वकर्मा सर्वकामः सर्वगन्धः सर्वरस:
सर्वमिदमभ्यात्तोऽवाक्यनादरः।-छान्दो. ३३१४ ।
प्रथमाध्याय
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