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यूप योग
लग्न से लगातार चार स्थानों में सब ग्रह हों तो यूप योग होता है । इस योगवाला आत्मज्ञानी, यज्ञकर्ता, स्त्री से सुखी, बलवान्, व्रत-नियम को पालन करनेवाला और विशिष्ट व्यक्तित्व से युक्त होता है। यूप योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति पंचायती होता है अर्थात् पंचायत के फैसले करने में उसे अधिक सफलता प्राप्त होती है। जिस स्थान पर आपसी विवाद उपस्थित होते हैं, उस स्थान पर वह उपस्थित हो यथार्थ निर्णय कर देने का प्रयास करता है ।
शर योग
चतुर्थ स्थान से आगे के चार स्थानों में ग्रह स्थित हों तो शर योग होता है। इस योगवाला व्यक्ति जेल का निरीक्षक, शिकारी, कुत्सित कर्म करनेवाला, पुलिस अधिकारी एवं नीच कर्मरत दुराचारी होता है। सैनिक व्यक्तियों की जन्मपत्री में भी यह योग होता है। शक्ति योग
सप्तम भाव से आगे के चार भावों में समस्त ग्रह हों तो शक्ति योग होता है। इस योग के होने से जातक धनहीन, निष्फल जीवन, दुखी, आलसी, दीर्घायु, दीर्घसूत्री, निर्दय और छोटा व्यापारी होता है। शक्तियोग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति छोटे स्तर की नौकरी भी करता है।
दण्ड योग
दशम भाव से आगे के चार भावों में समस्त ग्रह हों तो दण्ड योग होता है । इस योगवाला व्यक्ति निर्धन, दुखी और सब प्रकार से नीच कर्म करनेवाला होता है । इसे जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं होती है। नौका योग
लग्न से लगातार सात स्थानों में सातों ग्रह हों तो नौका योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति नौसेना का सैनिक, स्टीमर या जलीय जहाज़ का चालक, कप्तान, पनडुब्बी चालन में प्रवीण और मोती-सीप आदि निकालने की कला में प्रवीण धनिक होता है, पर अपनी कंजूस प्रकृति के कारण बदनाम रहता है। कूट योग
चतुर्थ भाव से आगे के सात स्थानों में सभी ग्रह हों तो कूट योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति जेल कर्मचारी, धनहीन, शठ, क्रूर, पुल या भवन बनाने की कला में प्रवीण होता है।
होपाध्याय
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