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________________ सूर्य और चन्द्रमा को ज्योतिष में राजा माना गया है। बुध युवराज, मंगल सेनापति, गुरु और शुक्र मन्त्री एवं शनि को भृत्य माना है। जन्म समय जो ग्रह सबल होता है, जातक का भविष्य उसके अनुसार निर्मित होता है। द्वादश राशियों में से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु और मकर इन छह राशियों का भगणाधिपति सूर्य और कुम्भ, मीन, मेष, वृष, मिथुन और कर्क का भगणाधिपति चन्द्रमा है। सूर्य के भगणार्ध चक्र में अधिक ग्रह हों तो जातक तेजस्वी और चन्द्र के चक्र में हों तो मृदु स्वभाव जातक होता है। जिस जातक के जन्मलग्न में मंगल हो और सप्तम भाव में गुरु या शुक्र हो उसके सिर में व्रण-दाग़ होता है। जब जन्मलग्न में मंगल, शुक्र और चन्द्रमा हों तो व्यक्ति को जन्म से दूसरे या छठे वर्ष सिर में चोट लगने से घाव का चिह्न प्रकट होता है। जन्मलग्न में शुक्र और आठवें स्थान में राहु हो तो मस्तक या बायें कान में चिह्न होता है। यदि लग्न में बृहस्पति, सप्तम स्थान में राहु और आठवें स्थान में पाप ग्रह हों तो व्यक्ति के बायें हाथ में चिह्न होता है। लग्न में गुरु या शुक्र और अष्टम में पाप ग्रह हों तो भी बायें हाथ में चिह्न समझना चाहिए। ग्यारहवें, तीसरे और छठे भाव में शुक्र युक्त मंगल हो तो वामपार्श्व में व्रण का चिह्न होता है । १. राजा रविः शशधरस्तु बुधः कुमारः सेनापतिः क्षितिसुतः सचिवौ सितेज्यौ। भृत्यस्तयोश्च रविजः सबला नराणां __कुर्वन्ति जन्मसमये निजमेव रूपम् ॥ ___-सारावली, बनारस १९५३ ई., अध्याय ४, श्लो. ७ । २. जनुषि लग्नगतो वसुधासुतो मदनगोऽपि गुरु: कविरेव वा। भवति तस्य शिरो व्रणलाञ्छितं निगदितं यवनेन महात्मना । भबति लग्नगते क्षितिनन्दने भृगुसुतेऽपि विधाविह जन्मिनाम् । शिरसि चिह्नमुदाहृतमादिभिर्मुनिवरैदिरसाब्दसमासतः ॥ भार्गवे जनुरङ्गस्थे चाष्टमे सिंहिकासुते । मस्तके वामकणे वा चिह्नदर्शनमादिशेत् ॥ मदनसदनमध्ये सिंहिकानन्दने वा सुरपतिगुरुणा चेदगराशौ युते नुः । प्रकथितमिह चिह्न चाष्टमे पापखेटे कविरपि गुरुरङ्ग वामबाहौ मुनीन्द्रः ॥ लाभारिसहजे भौमे व्यये वा शुक्रसंयुते । वामपावें गतं चिह्न विज्ञेयं व्रण बुधैः ॥ सुतालये भाग्यनिकेतने वा कविर्यदा चाष्टमगौ शजीवौ। शनौ चतुर्थे तनुभावगे वा तदा सचिह्न जठरं नरस्य ॥ -भावकुतूहल, बम्बई सन् १९२५ ई., अध्याय २, श्लो. १६-२२ । मारतीय ज्योतिष २८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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