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________________ जल सम कुम्भ तुला वायु पादजल (3) दीर्घ (४० अंश) वृश्चिक पादजल (४) दीर्घ (३६ अंश) धनु अग्नि अर्द्धजल (३) (३२ अंश) मकर. पृथ्वी पूर्णजल (१) सम ( २८ अंश) वायु अर्द्धजल (३) ह्रस्व (२४ अंश) मीन जल पूर्णजल (१) हस्व (२० अंश) उपर्युक्त संज्ञाओं पर से शारीरिक स्थिति ज्ञात करने के नियम १-लग्न जलराशि हो और उसमें जलग्रह की स्थिति हो तो जातक का शरीर मोटा होगा। २-लग्न और लग्नाधिपति जलराशिगत होने से शरीर खूब स्थूल होगा। ३-यदि लग्न अग्निराशि हो और अग्निग्रह उसमें स्थित हो तो मनुष्य बली होता है; पर शरीर देखने में दुबला मालूम पड़ता है। ४-अग्नि या वायुराशि लग्न हो और लग्नाधिपति पृथ्वी राशिगत हो तो हड्डियाँ साधारणतया पुष्ट और मजबूत होती हैं, और शरीर ठोस होता है। ५-यदि अग्नि या वायुराशि लग्न हो, लग्नाधिपति जलराशिगत हो तो शरीर स्थूल होता है। ६-यदि लग्न वायुराशि हो और उसमें वायुग्रह स्थित हो तो जातक दुबला, पर तीक्ष्ण बुद्धिवाला होता है । ७-यदि लग्न पृथ्वीराशि हो और उसमें पृथ्वीग्रह स्थित हो तो मनुष्य नाटा होता है। ८-पृथ्वीराशि लग्न हो और लग्नाधिपति पृथ्वीराशिगत हो तो शरीर स्थूल और दृढ़ होता है। ९-पृथ्वीराशि लग्न हो और उसका अधिपति जलराशि में हो तो शरीर साधारणतया स्थूल होता है । लग्न की राशि ह्रस्व, दीर्घ या सम जिस प्रकार की हो, उसी के अनुसार जातक के शरीर की ऊंचाई समझनी चाहिए। शरीर की आकृति निर्णय के लिए निम्न नियम उपयोगी हैं (१) लग्नराशि कैसी है ? (२) लग्न में ग्रह है तो कैसा है ? (३) लग्नेश कैसा ग्रह है ? और किस राशि में है ? (४) लग्नेश के साथ कैसे ग्रह है ? (५) लग्न पर किसकी दृष्टि है ? (६) लग्नेश अष्टम या द्वादश भाव में तो नहीं है ? (७) गुरु लग्न में है अथवा लग्न को देखता है । कैसी राशि में बृहस्पति की स्थिति है ? इन सात नियमों द्वारा विचार करने पर ज्ञात हो जायेगा कि जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु तत्त्वों में किसकी विशेषता है। अन्त में अन्तिम निर्णय के लिए पहलेवाले नौ तृतीयाध्याप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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