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________________ नाशक, वीर, गुदा स्थान में फोड़ों के दुख से पीड़ित, व्ययशील, नेत्र पर खरोंच के निशानवाला, पराक्रमी और बलवान्; सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धनी, विषयी, कामी और नीच-संगतिप्रिय; आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो पराधीन, धननाशक, कण्ठरोग से पीड़ित, धर्महीन, नीचकर्मरत और कुटुम्ब से पृथक् रहनेवाला; नवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो बड़े भाई के सुख से रहित, ऐश्वर्यवान्, भोगी, पराक्रमी और सन्ततिवान्; दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो मातृसुखहीन, पितृकष्टकारक, राजमान्य और उद्योगशील; ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो सन्ततिकष्ट से पीड़ित, नीच-कर्मरत और अल्पलाभ करानेवाला एवं बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो गुप्तरोगी, शत्रुनाशक, कुमार्ग में धन व्यय करनेवाला और दरिद्री होता है। केतु की दृष्टि का फल राहु के समान है। ग्रहों की युति का फल रवि-चन्द्र एक स्थान पर हों तो जातक लोहा, पत्थर का व्यापारी, शिल्पकार, वास्तु एवं मूर्तिकला का मर्मज्ञ; रवि-मंगल एक साथ हों तो शूरवीर, यशस्वी, मिथ्यापरिश्रमी एवं अध्यवसायी; रवि-बुध हों तो मधुरभाषी, विद्वान्, ऐश्वर्यवान्, भाग्यशाली, कलाकार, लेखक, संशोधक एवं विचारक; रवि-गुरु एक साथ हों तो आस्तिक, उपदेशक, राजमान्य एवं ज्ञानवान्; रवि-शुक्र एक साथ हों तो चित्रकार. नेत्ररोगी, विलासी, कामुक एवं अविचारक; रवि-शनि एक साथ हों तो अल्पवीर्य, धातुओं का ज्ञाता, आस्तिक; चन्द्र-मंगल एक साथ हों तो विजयी, कुशल वक्ता, वीर, शूरवीर, कलाकुशल एवं साहसी; चन्द्र-बुध एक साथ हों तो धर्मप्रेमी, विद्वान्, मनोज्ञ, निर्मल बुद्धि एव संशोधक; चन्द्र-गुरु एक साथ हों तो शील-सम्पन्न, प्रेमी, धार्मिक, सदाचारी एवं सेवावृत्तिवाला; चन्द्र-शुक्र एक साथ हों तो व्यापारी, सुखी, भोगी एवं धनी; चन्द्र-शानि एक साथ हों तो शीलहीन, धनहीन, मूर्ख एवं वंचक; मंगल-बुध एक साथ हों तो धनिक, वक्ता, वैद्य, शिल्पज्ञ एवं शास्त्रज्ञ; मंगल-गुरु एक साथ हों तो गणित, शिल्पज्ञ, विद्वान् एवं वाद्य प्रिय; मंगल-शुक्र एक साथ हों तो व्यापारकुशल, धातुसंशोधक, योगाभ्यासी, कार्य-परायण एवं विमान चालक; मंगल-बानि एक साथ हों तो कपटी, धूर्त, जादूगर, ढोंगी एवं अविश्वासी; बुध-गुरु एक साथ हों तो वक्ता, पण्डित, सभाचतुर, प्रख्यात, कवि, काव्य-स्रष्टा एवं संशोधक; बुध-शुक्र एक साथ हों तो मुन्शी, विलासी, सुखी, राजमान्य, रतिप्रिय, एवं शासक; बुध-वानि एक साथ हों तो कवि, वक्ता, सभापण्डित, व्याख्याता एवं कलाकार; गुरु-शुक्र एक साथ हों तो भोक्ता, सुखी, बलवान्, चतुर एवं नीतिवान्; ल्शनि एक साथ हों तो लोकमान्य, कार्यदक्ष, धनाढ्य, यशस्वी, कीर्तिवान् एवं आदर-पात्र और शुक्र-शनि एक साथ हों तो चित्रकार, मल्ल, पशुपालक, शिल्पी, रोगी, वीर्य-विकारी एवं अल्पधनी जातक होता है। भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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