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पंचम भाव के नाम-पंचम, सुत, तनुज, पणफर, त्रिकोण, बुद्धि, विद्या, आत्मज और वाणी हैं ।
विचारणीय बातें-बुद्धि, प्रबन्ध, सन्तान, विद्या, विनय, नीति, व्यवस्था, देवभक्ति, मातुल-सुख, नौकरी छूटना, धन मिलने के उपाय, अनायास बहुत धन-प्राप्ति, जठराग्नि, गर्भाशय, हाथ का यश, मूत्रपिण्ड एवं बस्ती हैं । इसका कारक गुरु है।
षष्ठ भाव के नाम-आपोक्लिम, उपचय, त्रिक, शत्रु, रिपु, द्वेष, क्षत, वैरी, रोग और नष्ट है।
विचारणीय बातें-मामा की स्थिति, शत्रु, चिन्ता, शंका, ज़मींदारी, रोग, पीड़ा, व्रणादिक, गुदास्थान एवं यश आदि हैं। इसके कारक शनि और मंगल हैं।
सप्तम भाव के नाम-केन्द्र, मदन, सौभाग्य, जामित्र और काम हैं।
विचारणीय बातें-स्त्री, मृत्यु, मदन-पीड़ा, स्वास्थ्य, कामचिन्ता, मैथुन, अंगविभाग, जननेन्द्रिय, विवाह, व्यापार, झगड़े एवं बवासीर रोग रादि हैं। इसमें वृश्चिक राशि बलवान होती है।
अष्टम भाव के नाम- पणफर, चतुरस्र, त्रिक, आयु, रन्ध्र और जीवन हैं।
विचारणीय बातें-व्याधि, आयु, जीवन, मरण, मृत्यु के कारण, मानसिक चिन्ता, समुद्र-यात्रा, ऋण का होना, उतरना, लिंग, योनि, अण्डकोष आदि के रोग एवं संकट प्रभृति हैं । इस स्थान का कारक शनि है।
नवम भाव के नाम-धर्म, पुण्य, भाग्य और त्रिकोण हैं ।
विचारणीय बातें-मानसिक वृत्ति, भाग्योदय, शील, विद्या, तप, धर्म, प्रवास, तीर्थयात्रा, पिता का सुख एवं दान आदि है । इसके कारक रवि और गुरु हैं।
दशम भाव के नाम- व्यापार, आस्पद, मान, आज्ञा, कर्म, व्योम, गगन, मध्य, केन्द्र, ख और नभ हैं।
विचारणीय बातें-राज्य, मान, प्रतिष्ठा, नौकरी, पिता, प्रभुता, व्यापार, अधिकार, ऐश्वर्य-भोग, कीर्तिलाभ एवं नेतृत्व आदि हैं। इसमें मेष, सिंह, वृष, मकर का पूर्वार्द्ध एवं धन का उत्तरार्द्ध बलवान् होता है। इसके कारक रवि, बुध, गुरु एवं शनि हैं।
एकादश भाव के नाम-पणफर, उपचय, लाभ, उत्तम और आय हैं।
विचारणीय बातें-गज, अश्व, रत्न, मांगलिक कार्य, मोटर, पालकी, सम्पत्ति एवं ऐश्वर्य आदि हैं । इसका कारक गुरु है।
द्वादश भाव के नाम-रिष्फ, व्यय, त्रिक, अन्तिम और प्रान्त्य हैं ।
विचारणीय बातें-हानि, दान, व्यय, दण्ड, व्यसन एवं रोग आदि हैं। इस स्थान का कारक शनि है।
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