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चन्द्ररेखाष्टक, मंगल से मंगलरेखाष्टक, बुध से बुधरेखाष्टक आदि रेखाष्टक बना लेने चाहिए। अब जिस ग्रह का बल जानना हो उसको समस्त रेखाओं को जोड़ लेना तथा उसके विपरीत बिन्दुओं को जोड़ना, अनन्तर दोनों का अन्तर कर ग्रह के बलाबल या शुभाशुभ को समझ लेना चाहिए। यह रेखाष्टक का सरल विचार है; विस्तार से अवगत करने के लिए बृहत्पाराशर शास्त्र का वर्गाष्टकाध्याय देखना चाहिए ।
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भारतीय ज्योतिष
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