________________
उदाहरण-सूर्य ०।१०।७।३४ अयनांश २३।४६ है । ०।१०७।३४ स्पष्ट सूर्य ११३।४६।० अयनांश १।३।५३।३४ सायन सूर्य-इसके भुजांश निकालने हैं ।
भुजांश बनाने का नियम यह है कि यदि ग्रह तीन राशि के भीतर हो तो वही उसका भुजांश और तीन राशि से अधिक और ६ राशि से कम हो तो ६ राशि में से ग्रह को घटा देने से भुजांश, ६ राशि से ग्रह अधिक और ९ राशि से कम हो तो ग्रह में से ६ राशि घटाने से भुजांश एवं नौ राशि से अधिक हो तो बारह राशि में से घटाने से भुजांश होता है।
प्रस्तुत उदाहरण में सूर्य ३ राशि के भीतर है। अतः उसका भुजांश १॥३॥५३॥३४ राश्यादि ही होगा।
___ गणित क्रिया के लिए राशि के अंश बनाकर अंशों में जोड़ दिये तो ३३३५३।३४ अंशादि भुजांश हुआ।
३३१५३।३४:१०= ३ लब्धि, शेष ३१५३।३४, यहाँ लब्धि ३ है। अतः तीन खण्ड के नीचेवाला गत ध्रुवांक ११७ हुआ। इस लब्धि खण्ड का ध्रुवान्तरांक ३७ इस अंक के शेष के अंशादि को गुणा करना चाहिए।
३१५३।३४४ ३७ = १४५।४११५८ १० = १४।३४।११
११७ + १४।३४।११ = १३११३४।११:१०%D१३।११।२५ । सूर्य की उत्तरा क्रान्ति हुई। इसी प्रकार समस्त ग्रहों की क्रान्ति का साधन कर लेना चाहिए।
बुध की उत्तरा या दक्षिणा क्रान्ति को सर्वदा २४ में जोड़ना चाहिए। शनि और चन्द्र की दक्षिणा क्रान्ति हो तो २४ में क्रान्ति को जोड़ना और उत्तरा हो तो २४ में से घटाना चाहिए। सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र की क्रान्ति को दक्षिणा क्रान्ति होने से २४ में से घटाना और उत्तरा क्रान्ति हो तो २४ में जोड़ना चाहिए। इस प्रकार धन-ऋण से जो क्रान्ति आयेगी, उसमें ४८ का भाग पेने से अयनबल होता है। सूर्य के अयनबल को द्विगुणित कर देने से उसका स्पष्ट चेष्टाबल होता है।
उदाहरण-सूर्य उत्तरा क्रान्ति १३।११।२५ है, अतः इसे २४ में जोड़ा तो-१३।११।२५
२४ ३७।११।२५:४८ = ०१४६।१३
अयनबल भौमादि पांच ग्रहों का मध्यम चेष्टाबल-साधन करने का यह नियम है। पहले इष्टकालिक मध्यम ग्रह और स्पष्ट ग्रह के योगार्ध को शीघ्रोच्च में घटाने से भौमादि पाँच
द्वितीयाध्याय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org