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________________ घटियों में, अंशों को दिनों में और राशियों को मासों में जोड़ा था, इसी प्रकार अन्तदशा निकालते समय भी राशि और अंशों को मास और दिनों में जोड़ा गया है । जैसे चन्द्रान्तर्दशा चक्र में १०१० में ३।२८ को जोड़ा तो ११२८ आया है यहाँ १३ महीने योग आने के कारण इसमें १२ का भाग दे दिया है और लब्ध एक को हासिल के रूप में संवत् के कोष्ठ में खड़ी रेखा का चिह्न बना देना चाहिए । इसी प्रकार आगे ७० में १।२८ को जोड़ा तो ८ २८ आया, ८।२८ को ६।० में जोड़ा तो २।२८ आया, एक हासिल को पुनः खड़ी रेखा के रूप में ऊपर संवत् के खाने में + इस प्रकार लिख दिया । इस तरह आगे-आगे जोड़ने पर चन्द्रान्तर्दशा का पूरा चक्र बन जाता है । संवत्वाले कोष्ठक को भरते समय वर्षों को जोड़ा जाता है और हासिलवाली संख्या जो वर्षों की मिलती है, उसको भी जोड़ दिया जाता है । अन्तर्दशा के समान ही प्रत्यन्तर और सूक्ष्मान्तर आदि दशाएँ लिखी जाती हैं । प्रत्यन्तर्दशा विचार जिस प्रकार प्रत्येक ग्रह की महादशा में नौ ग्रहों की अन्तर्दशा होती है, उसी प्रकार एक अन्तर्दशा में नौ ग्रहों की प्रत्यन्तर्दशा होती है; जैसे सूर्य की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा ३ मास १८ दिन है । इस ३ मास और १८ दिन में उसी क्रम और परिमाणानुसार प्रत्यन्तर भी होता है । प्रत्यन्तर्दशा निकालने का नियम यह है कि महादशा के वर्षों को अन्तर और प्रत्यन्तर्दशा के वर्षों से गुणा कर ४० का भाग देने पर जो दिनादि आयेंगे वही प्रत्यन्तर्दशा के दिनादि होंगे । उदाहरण - सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशा निकालनी है १० वर्ष = ६×१० सूर्य की महादशा ६ वर्ष x चं. की अन्तर्दशा ६०× १० = ६०० : ४० = १५ दिन चन्द्रमा का प्रत्यन्तर; ६० X ७ = ४२० ÷ ४० = १०, २०x३० = १० दिन ३० घटी मंगल का प्रत्यन्तर; ६० x १८ = १०८० = १०८० : ४० = २७ दिन राहु का प्रत्यन्तर; ६०×१६ =९६० ÷ ४० = २४ दिन जीव का प्रत्यन्तर; ६० X १९ = ११४० ÷ ४० = २८ दिन, ३० घटी शनि का प्रत्यन्तर; ६० x १७ = १०२० ÷ ४० = २५ दिन, ३० घटी बुध का प्रत्यन्तर; ६० x ७ = ४२० ÷ ४० = १० दिन ३० घटी केतु का प्रत्यन्तर; ६० x २० = १२०० ÷ ४० = ३० दिन = १ मास, शुक्र का प्रत्यन्तर; ६० X ६ = ३६० ÷ ४० = ९ दिन आदित्य का प्रत्यन्तर । सूर्य की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर चं. भौ. रा. १०६ ० २४ Jain Education International ० ९ ० ० १८ ० १६ १२ श. बु. ० ० ० १४ १७ १५ २४ ६ १८ के. । शु. ० १८ ० For Private & Personal Use Only ० १८ ग्र. मा. दि. घ. भारतीय ज्योतिष www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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