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बीच चक्र में एक खाना संवत् के लिए रहेगा और नीचे एक खाना जन्मसमय के राश्यादि सूर्य के लिए रहेगा। नीचे खाने के सूर्य स्पष्ट को भोग्य दशा के मासादि में जोड़ देना चाहिए और इस योगफल को नीचे के खाने में जोड़ देना चाहिए और इस योगफल को नीचे के खाने के अगले कोष्ठक में रखना चाहिए। मध्यवाले कोष्ठक के संवत् को ग्रहों के वर्षों में जोड़कर आगे रखना चाहिए ।
उदाहरण-भयात १६ घटी ३९ पल । भभोग ५८।४४
६०
६०
९६०
३४८०
३९
पलात्मक भयात ९९९ पलात्मक भभोग ३५२४
यहाँ जन्मनक्षत्र कृत्तिका है। जन्मनक्षत्र द्वारा ग्रहदशाबोधक चक्र में कृत्तिका नक्षत्र को जन्मदशा सूर्य की लिखी गयी है । इस ग्रह की ६ वर्ष की दशा होती है, अतः पलात्मक भयात को ग्रह दशा वर्ष से गुणा किया९ ९ ९ भयात
३५२४ भभोग
३५२४) ५९९४ ( १ वर्ष
३५२४
२४७०
१२
३५२४)२९६४०(८ मास
२८१९२ १४४८
३० ३५२४)४३४४०( १२ दिन
३५२४
८२०० ७०४८
११५२
६०
२००
भारतीय ज्योतिष
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