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________________ प्रस्तुत उदाहरण का चलित चक्र ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम सूर्य के साथ विचार किया। नवग्रह स्पष्ट चक्र में सूर्य ०।१०।७।३४ आया है और भाव स्पष्ट में अष्टम-आयु भाव की सन्धि ०।९।४।२४ हैं, सूर्य के अंश सन्धि के अंशों से आगे हैं, अतः सूर्य नवम-धर्म भाव में माना जायेगा। चन्द्रमा ११०।२४।३४ है, धर्मभाव ०१२४।१७१३३ और इसकी सन्धि ११९१३०।२२ है, अतएव यहाँ चन्द्रमा नवम भाव की सन्धि में माना जायेगा। मंगल २।२१।५२।४४ है, आयभाव २।९।३०।२२ से २।२४।१७।२३ तक है अतः मंगल आयभाव में, इसी प्रकार बुध नवम में, गुरु व्ययभाव की सन्धि में, शुक्र अष्टम में, शनि दशम भाव की सन्धि में, राहु व्ययभाव में एवं केतु रिपुभाव में माना जायेगा। दावर्ग विचार __ ग्रहों के बलाबल का ज्ञान करने के लिए दशवर्ग का साधन किया जाता है । दशवर्ग में गृह, होरा, द्रेष्काण, सप्तांश, नवांश, दशांश, द्वादशांश, षोडशांश, त्रिंशांश और षष्ट्यंश परिगणित किये गये हैं। ___ गह-जो ग्रह जिस राशि का स्वामी होता है, वह राशि उस ग्रह का गृह कहलाती है । राशियों के स्वामी निम्न प्रकार हैं मेष, वृश्चिक का मंगल; वृष, तुला का शुक्र; मिथुन, कन्या का बुध; कर्क का चन्द्रमा; धनु, मीन का गुरु; सिंह का सूर्य एवं मकर, कुम्भ का स्वामी शनि होता है । होरा-१५ अंश का एक होरा होता है, इस प्रकार एक राशि में दो होरा होते हैं । विषम राशि--मेष, मिथुन आदि में १५ अंश तक सूर्य का होरा और १६ अंश से ३० अंश तक चन्द्रमा का होरा। समराशि-वृष, कर्क आदि में १५ अंश तक चन्द्रमा का होरा, और १६ अंश से ३० अंश तक सूर्य का होरा होता है । जन्मपत्री में होरा लिखने के लिए पहले लग्न में देखना होगा कि किस ग्रह का होरा है; यदि सूर्य का होरा हो तो होरा कुण्डली की ५ लग्नराशि और चन्द्रमा का होरा हो तो होराकुण्डली की ४ लग्नराशि होती है। होराकुण्डली में ग्रहों के स्थापन के लिए ग्रहस्पष्ट के राश्यादि से विचार करना चाहिए। नीचे होराज्ञान के लिए होराचक्र दिया जाता है, इसमें सूर्य और चन्द्रमा के स्थान पर उनकी राशियाँ दी गयी हैं । तु | म. वृ.मि क.सि. क. तु. वृ.ध. म. कुं.मी. कुं.मी. अं. ४|१५ अंश |३० अंश उदाहरण-लग्न ४।२३।२५।२७ अर्थात् सिंह राशि के २३ अंश २५ कला २७ विकला पर है। सिंह राशि के १५ अंश तक सूर्य का होरा, १६ अंश से आगे १४१ भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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