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४- रात्रि अर्ध के बाद इष्टकाल हो तो ६० घटी में से इष्टकाल को घटाने से जो शेष आवे उसमें दिनार्ध जोड़ने से पूर्वनत होता है ।
यदि पश्चिमनत हो तो लंकोदयमान द्वारा लग्न साधन के
=
उदाहरण १ - इष्टकाल २३।२२, दिनमान ३२/६, रात्रिमान २७।२४ है । दिनमान ३२|६ का आधा किया तो दिनार्ध ३२।६÷२=१६।३; इस उदाहरण में इष्टकादिना के बाद का है अतः नतकाल साधन के द्वितीय नियमानुसार-३२|६ दिनमान से
२३।२२ इष्टकाल को घटाया
८१४४ शेष, इसे दिनार्ध में घटाया तो (१६।३ ) - ( ८२४४ ) = ७ । १९ पश्चिमनत हुआ I उदाहरण २ - इष्टकाल ६।४५ दिनमान ३२६, रात्रिमान २७/५४, दिनार्ध १६।३ है ।
इस उदाहरण में इष्टकाल दिनार्ध से पहले का है; अतः १६ । ३ दिनार्ध में से ६।४५ इष्टकाल को घटाया तो ९।१८ पूर्वनत हुआ ।
भोग्य प्रकार से और पूर्वनत हो तो भुक्त प्रकार से समान दशम भाव का साधन करना चाहिए ।
उदाहरण ३ - इष्टकाल ४२।४८, दिनमान ३२६, रात्रिमान २७/५४, दिनार्ध १६।३, रात्र्यर्ध १३।५७ है ।
इस उदाहरण में पहले यह विचार करना होगा कि यह इष्टकाल रात का है या दिन का ? प्रस्तुत उदाहरण में दिनमान ३२ ६ है और इष्टकाल ४२।४८ है, अतः दिनमान से इष्टकाल अधिक होने के कारण रात का इष्टकाल कहलायेगा । अब रात में रात्र्यर्ध से पहले का या रात्र्यर्ध के बाद का ? इस निश्चय के लिए दिनमान में रात्र्यर्ध जोड़कर इष्टकाल से मिलान करना चाहिए । अतः ३२|६ दिनमान में रात्र्यर्ध जोड़ा तो - ( ३२।६ ) + ( १३।५७ ) = ४६ । ३ रात्र्यर्ध तक का मिश्रकाल । प्रस्तुत उदाहरण का इष्टकाल रात्र्यर्ध के पहले का है, अतः ४२।४८ इष्ट में से
३२ । ६ दिनमान घटाया तो १०।४२ शेष
१६ । ३ दिनार्ध में १०१४२ शेष को जोड़ा
२६।४५ पश्चिमनत
उदाहरण ४ - इष्टकाल ५२।४५ दिनमान ३२६, रात्रिमान २७।५४, दिनार्ध १६।३ अर्धरात्रि तक का मिश्रकाल ४६ । ३ है |
इस उदाहरण में अर्धरात्रि के बाद इष्टकाल है अतः नतकाल साधन के चतुर्थ नियमानुसार ६० । ० में
५२।४५ इष्ट घटाया ७। १५ अवशेष
७। १५ अवशेष में
१६ । ३ दिनार्ध जोड़ा
२३|१८ पूर्वनत हुआ ।
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द्वितीयाध्याय
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