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________________ आदित्याचा प्रहाः सर्वे नक्षत्राणि च राशयः । सर्वान् कामान् प्रयच्छन्तु यस्यैषा जन्मपत्रिका ॥१॥ स्वस्तिश्रीसौख्यधात्री सुतजयजननी तुष्टिपुष्टिप्रदात्री माजल्योत्साहकी गतमवसदसत्कर्मणां व्यअयित्री। नानासंपद्विधात्री जनकुडयासामायुषी वर्द्धयित्री दुष्टापद्विघ्नही गुणगणवसतिर्लिख्यते जन्मपत्री ॥२॥ श्रीमान् नृपति विक्रम संवत् २००१, शक संवत् १८६६, वैशाख मास, कृष्णपक्ष सोमवार को द्वितीया तिथि में जिसका घट्यादि मान विश्वपंचांग के अनुसार आरा में देशान्तर संस्कृत ४५ घटी ९ पल, भरणी नक्षत्र का मान ६ घटी ४३ पल तदुपरि कृत्तिका नक्षत्र, आयुष्मान् योग का मान १७ घटी ८ पल, बालव नाम करण का मान घट्यादि १६१४७, जन्म समय का संस्कृत इष्टकाल २३।२२।२३ है। इस दिन दिनमान घट्यादि ३२।६ रात्रिमान २७।५४ उभयमान ६०० में आरा नगरनिवासी श्रीमान् चित्रगुप्तवंश में श्रेष्ठ बाबू हनुमानदास के पुत्र बाबू हरिप्रसाद के चिरंजीवि पुत्र हरिमोहन सेन की वैदिक विधिपूर्वक परिणीता भार्या मोहनदेवी की दक्षिण कुक्षि से पुत्र उत्पन्न हुआ। होराशास्त्रानुसार भयात १६।३९ भभोग ५८१४४ है; अतएव कृत्तिका नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म हुआ और इसका राशि नाम 'ई' अक्षर पर ईश्वरदेव रखा गया। यह पुत्र गुरुजन और पुण्य के प्रसाद से दीर्घजीवी हो । संस्कृत भाषा में लिखने की विधि अथ श्रीमन्नृपतिविक्रमार्कराज्यात् २००१ संवत्सरे १८६६ शाके वसन्तौ शुभे वैशाखमासे कृष्णपक्षे चन्द्रवासरे द्वितीयायां तिथौ घट्यादयः ४५१९ भरणीनक्षत्रे घट्यादयः ६।४३ तदुपरि कृत्तिकानक्षत्रे, आयुष्मानयोगे घट्यादयः १७८ बालवकरणे घट्यादयः १६१४७ अत्र सूर्योदयादिष्टकालः घट्यादयः २३।२२।२३ मेषराशिस्थिते सूर्ये वृषराशिस्थिते चन्द्रे एवं पुण्यतिथौ पञ्चाङ्गशुद्धो शुभग्रहनिरीक्षितकल्याणवत्यां वेलायां सिंहलग्नोदये दिनप्रमाणं घट्यादयः ३२।६ रात्रिप्रमाणं घट्यादयः २७१५४ उभयप्रमाणं ६०० आरानगरे चित्रगुप्तवंशावतंसस्य श्रीमतः हनुमानदासस्य पुत्रः हरिप्रसादस्तस्य पुत्र बाबू हरिमोहनसेनस्य गृहे सुशीलवतीभार्यायाः दक्षिणकुक्षी द्वितीयपुत्रमजीजनत् । अत्रावकहोडाचक्रानुसारेण भयातम् १६।३९ भभोगः ५८०४४ तेन कृत्तिकानक्षत्रस्य द्वितीयचरणे जायमानत्वात् ईकाराक्षरे 'ईश्वरदेव' इति राशिनाम प्रतिष्ठितम् । अयं च देवगुरुप्रसादाद्दीर्घायुर्भूयात् । इसके पश्चात् जो पहले नवग्रहस्पष्ट चक्र लिखा गया है, उसे लिखना चाहिए, पश्चात् जन्मकुण्डली चक्र को अंकित करना। पहले उदाहरणानुसार जन्मकुण्डली चक्र निम्न प्रकार हुआ १६९ द्वितीयाध्याय २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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