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१०२।१५४८:६०।१५।३२ लब्ध २५ ४८ शेष १२७ : ६०१४८।१५।३२ २ १७१४८"।१५३२"" यहाँ केवल विकला तक ही फल इष्ट है । २।२३। ०।३२ पंक्ति के मंगल में से
२।७।४८ आगत फल को घटाया
२।२११५२।४४ स्पष्ट मंगल बुधसाधन चालन |१७। ३९ बुध गति
५१।११७ ४२ ७१४११६३८ २९
४९३।११३१ ५११८३१।२१३१।११३१ ( पूर्ववत् ६० का भाग देने के पश्चात् अंशादि
का फल निकाला) १०।५।२६।४८५१"" बुध फल आया । यह बुध वक्री है, अतः ऋणचालन होने से इस फल को पंक्ति के बुध में जोड़ा०।२२।१६। ५
१५२६ ०२३।२१।३१ स्पष्ट बुध हुआ
इसी तरह चन्द्रमा के सिवा अन्य सभी ग्रहों का स्पष्टीकरण किया जाता है । चन्द्रस्पष्ट को विधि
भयात की घटियों को ६० से गुणा कर पल जोड़ने से पलात्मक भयात और भभोग की घटियों को ६० से गुणा कर पल जोड़ देने से पलात्मक भभोग होता है। पलात्मक भयात को ६० से गुणा कर पलात्मक भभोग का भाग दें; शेष को पुनः ६० से गुणा कर उसी पलात्मक भभोग का भाग दें, ३री बार शेष को फिर ६० से गुणा कर पलात्मक भभोग का भाग दें, तो लब्ध वर्तमान नक्षत्र के भुक्त घटी, पल होंगे। अश्विनी नक्षत्र से गत नक्षत्र तक गिनकर ६० से गुणा कर भुक्त घटी, पलादि में जोड़ दे और इस योगफल को २ से गुणा कर गुणनफल में ९ से भाग देने पर लब्ध अंश, कला, विकला फल होगा। यदि अंशसंख्या ३० से अधिक आवे तो ३० का भाग देकर राशि बना लेना चाहिए। १. गता भघटिका खतर्कगुणिता मभोगोघृता,
युता च भगतेन षष्टि ६० गुणितेन द्विघ्नीकृता । नवाप्तलवपूर्वके शशि भवेत्तु तत्पूर्वकैनभोऽम्बरवियद्गजाब्धि ४८००० युग्भवेज्जवा कीर्तिता ॥
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मारतीय ज्योतिष
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