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जन्मसमय तक १० घण्टे ५० मिनट ५२ सेकेण्ड हुए । ( १०/५०/५२ ) x ५ = २७।७।१० घट्यादि इष्टकाल हुआ ।
भयात' और भभोग साधन
यदि पंचांग अपने यहाँ का नहीं हो तो पंचांग के तिथि, नक्षत्र, योग और करण के घटी, पलों में देशान्तर संस्कार करके अपने स्थान - जहाँ की जन्मपत्री बनानी हो, वहाँ के नक्षत्र का मान निकाल लेना चाहिए ।
यदि इष्टकाल से जन्मनक्षत्र के घटी, पल कम हों तो वह नक्षत्र गत और आगामी नक्षत्र जन्मनक्षत्र कहलाता है तथा जन्मनक्षत्र के घटी, पल इष्टकाल के घटी, पलों से अधिक हों तो जन्मनक्षत्र से पहले का नक्षत्र गत और वर्तमान नक्षत्र जन्मनक्षत्र कहलाता है । गत नक्षत्र के घटी, पलों को ६० में से घटाने पर जो शेष आवे उसे दो जगह रखना चाहिए तथा एक स्थान पर इष्टकाल को जोड़ देने से भयात और दूसरे स्थान पर जन्मनक्षत्र जोड़ देने पर भभोग होता है ।
उदाहरण - वि.सं. २००१ वैशाख शुक्ला द्वितीया को आरा में दिन के २ बजकर २५ मिनट पर किसी बच्चे का जन्म हुआ है । इस समय का पूर्व नियम के अनुसार इष्टकाल २२|३२|१० है | इस दिन भरणी नक्षत्र का मान बनारस के विश्वपंचांग में ६।२७ लिखा है । पहले इस नक्षत्रमान को आरा का बना लेना है ।
- ८४।४० आरा रेखांश में से
८३ | ० बनारस का रेखांश घटाया
१।४०
११४० को ४ मिनट से गुणा किया। अर्थात् अंशों को गुणा करने पर मिनट और कलाओं को गुणा करने पर सेकेण्ड होते हैं । ( ११४० ) x ४ = ६ |४० यह मिनटादि है, इसे घट्यादि बनाने की विधि यह है कि मिनटों को २३ से गुणा करने पर पल और सेकेण्डों को २३ से गुणा करने पर विपल होते हैं । अतएव - ( ६।४० ) x = १६।४० पलादिमान । यह बनारस से आरा का देशान्तर संस्कार धनात्मक हुआ । क्योंकि बनारस के रेखांश से आरा का रेखांश अधिक है । इस संस्कार द्वारा तिथि, नक्षत्र, योग आदि का मान आरा में निकाला जायेगा - ६।२७।० बनारस में भरणी का प्रमाण
१६।४० देशान्तर संस्कार
६|४३|४० भरणी नक्षत्र आरा में
इनको ढाई गुना किया
१. गतर्क्षघट्यो गगनाङ्गशुद्धाः द्विष्ठाः क्रमादिष्टघटोप्रयुक्ताः । इष्टर्क्षनाडीसहिताश्च कार्या भयातभोगौ भवतः क्रमेण ॥
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- दशामञ्जरी, नि, ब. १९२२ ई० श्लोक. २ ।
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