SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिष्ठाविक के मुहूर्त। (१७७) गेहाकारे चेइन वजिजा माहमास अगणिभयं ।।.. सिहरजुनं जिणभुवणे विपवेसो सया भणिभो ॥४॥ भासाढे वि पइट्ठा कायव्वा केइ सूरिणो मपइ । पासायगभगेहे विपवेसो न कायव्यो ॥५॥ घरमंदिर का प्रारम्भ माघ मास में करें तो अग्नि का भय रहे, इसलिये माघ मास में घरमंदिर बनाने का प्रारम्भ करना अच्छा नहीं । परन्तु शिखरबद्ध मंदिर का प्रारम्भ और बिम्ब (प्रतिमा ) का प्रवेश कराना अच्छा है । आषाढ मास में प्रतिष्ठा करना, ऐसा कोई प्राचार्य कहते हैं, किन्तु प्रासाद के गर्भगृह ( मूलगम्भाग) में विम्व प्रवेश नहीं कराना चाहिये ।। ४ । ५॥ . तिथि शुद्धि छट्ठी रित्तट्टमी वारसी अ अमावसा गयतिहीओ। वुड्कृतिहि कूरदद्धा वजिज्न सुहेसु कम्मेसु ॥ ६ ॥ छ. रिक्ता (४-९-१४ ), आठम, बारस, अमावस, क्षयतिथि, वृद्धितिथि, क्रूरतिथि और दग्धातिथि ये तिथि शुभ कार्य में छोड़ना चाहिये ॥ ६॥ कर तिथि त्रिशश्चतुर्णामपि मेषसिंह-धन्वादिकानां क्रमतश्चतस्रः । पूर्णाश्चतुष्कत्रितयस्य तिस्र-स्त्याज्या तिथिः फरयुतस्य राशेः ॥७॥ मेष, सिंह और धन से चार २ राशियों के तीन चतुष्क करना, उनमें प्रथम चतुष्क में प्रतिपदादि चार तिथि और पंचमी, दूसरे चतुष्क में षष्ठी प्रादि चार तिथि और दशमी. तीसरे चतुष्क में एकादशी आदि चार तिथि और पूर्णिमा इन क्रूर तिथियों में शुभ कार्य वजनीय है । उक्त राशि पर सूर्य, मंगल, शनि या राहु आदि कोई पाप ग्रह हो तब कर तिथि माना है अन्यथा नहीं ॥ ७॥ क्रूर तिथि यंत्रमेष ... ... १-५ | सिंह ... .... ६-१० । धन ... ११-१५ वृष ... ... २-५ कन्या.. ... ७-१० ... १२-१५ तुला ... कुंभ ... ४-५ वृश्चिक ... ९-१० मीन - मकर .... १३-१५ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy