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________________ जैन विविध ग्रंथमाला में छपी हुई पुस्तकें १ मेघमहोदय-वर्षप्रबोध-(महामहोपाध्याय श्री मेघविजय गणी विरचित) वर्ष कैसा होगा, सुकाल पडेगा या दुष्काल, वर्षाद कब और कितनी बरसेगी, अनाज, रुई, कपास, सोना, चांदी श्रादि वस्तुएँ सस्ती रहेंगी या महँगी इत्यादि भावी शुभाशुभ प्रति दिन जानने का यह अपूर्व ग्रंथ है। काशी श्रादि के पञ्चांग कर्ता राज्य ज्योतिषियों ने भी इस ग्रंथ को प्रमाणिक मानकर अपने पञ्चांगों में इस ग्रंथ पर से फलादेश लिख रहे हैं। सम्पूर्ण मूल ग्रंथ ३५०० श्लोक प्रमाण के साथ भाषान्तर भी लिखा गया है, जिसे समस्त जनता इसी से लाभ ले सकती हैं। कीमत चार रुपया। २ जोइस हीर-मूल प्राकृत गाथा के साथ हिन्दी भाषान्तर छपा है, यह समस्त प्रकार से मुहूर्त देखने के लिये अपूर्व ग्रंथ है। मूल्य पांच श्राना। ३ वास्तुसार-प्रकरण सचित्र-(ठक्कर ‘फेरू' विरचित) मूल और गुजराती भाषान्तर समेत छप रहा है। फक्त तीन मास में बाहर पडेगा । किमत पांच रुपया । शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले ग्रंथ१ रूपमंडन सचित्र-(सूत्रधार 'मंडन' विरचित) मूल और भाषान्तर समेत । इसमें विष्णु के २५, महादेव के १२, दशावतार, ब्रह्मा, गणपति, गरुड, भैरव, भवानी, दुर्गा, पार्वती प्रादि समस्त हिन्दुओं के तथा जैन देव देवियों के भिन्न २ स्वरूपों का वर्णन चित्रों के साथ अच्छी तरह लिखा गया है। २प्रासाद मंडन--(सूत्रधार 'मंडन' विरचित)मूल और भाषान्तर समेत । मंदिर सम्बन्धी वर्णन अनेक नकशे के साथ बतलाया है। ३ जैन दर्शन चित्रावली-जयपुर के प्रसिद्ध चित्रकार के हाथ से मनोहर कलम से बने हुए, अष्ट महाप्रातिहार युक्त २४ तीर्थकरों तथा उनके दोनों तरफ शासन देव और देवी के चित्र हैं। ४ गणितसार संग्रह-(कर्ता श्री महावीराचार्य) गणित विषय । ५ त्रैलोक्य प्रकाश-(सर्वज्ञ प्रतिभा श्री हेमप्रभसूरि विरचित) जातक विषय । ६ बेडा जातक-(नरचंदोपाध्याय विरचित) जातक विषय । ७ भुवन दीपक सटीक-मूलको पनप्रभसूरि और टीकाकार सिंहतिलकसूरि है। इसमें एक प्रश्न कुंडली पर से १४४ प्रश्नों का उत्तर देखा जाता है। जो महाशय एक रुपया भेजकर स्थाई ग्राहक बनेंगे उनको जैन विविध ग्रंथमाला की हरएकपुस्तक पौनी किमत से मिलेगी। __प्राप्ति स्थान पं० भगवानदास जैन संपादक-जैन विविध ग्रंथमाला, मोतीसिंह भोमिया का रास्ता, जयपुर सिटी (राजपूताना ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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