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________________ जिनेश्वर देव और उनके शासन देवों का स्वरूप (१५७ ) सोलहवें शान्तिजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप तथा षोडशं शान्तिनाथं हेमवर्ण मृगलाञ्छनं भरण्यां जातं मेषराथि चेति । तत्तीर्थोत्पन्न गरुडयक्षं वराहवाहनं क्रोडवदनं श्यामवर्ण चतुर्भुजं बीजपूरकपद्मयुक्तदक्षिणपाणिं नकुलाक्षसूत्रवामपाणिं चेति। तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां निर्वाणी देवीं गौरवर्णा पद्मासनां चतुर्भुजां पुस्तकोत्पलयुक्तक्षिणकरां कमण्डलुकमलयुतवामहस्तां चेति ॥ १६ ॥ शान्तिजिन नाम के सोलहवें तीर्थकर हैं, ये सुवर्ण वर्ण वाले, हरिण के लाञ्छनवाले, जन्मनक्षत्र भरणी और मेष राशिवाले हैं । ___ उनके तीर्थ में 'गरुड' नाम का यक्ष 'सूअर के वाहनवाला, सूअर के मुखवाला, कृष्णवर्णवाला, चार भुजावाला, दाहिनी दो भुजाओं में बीजोरा और कमल, बांयें दो हाथों में न्यौला और माला को धारण करनेवाला है। उन्हीं के तीर्थ में 'निर्वाणी' नाम की देवी गौरवर्णवाली, कमल के वाहनवाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुनाओं में पुस्तक और कमल; बाँयीं भुजाओं में कमंडलु और कमल को धारणकरनेवाली है ॥ १६ ॥ सत्रहवें कुंथुजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप तथा सप्तदशं कुन्थुनाथं कनकवर्ण छागलाञ्छनं कृत्तिकाजातं वृषभराशिं चेति । तत्तीर्थोत्पन्नं गन्धर्वयक्ष श्यामवर्ण हंसवाहनं चतुर्भुजं वरद पाशान्वितदक्षिणभुजं मातुलिङ्गाङ्कुशाधिष्ठितवामभुजं चेति। तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां चला देवी गौरवर्णा मयूरवाहनां चतुर्भुजां बीजपूरकशूलान्वितदक्षिणभुजां मुषुण्ढिपद्मान्वितवामभुजां चेति ॥ १७ ॥ __ कुन्थुजिन नाम के सत्रहवें तीर्थंकर हैं, ये सुवर्ण वर्णवाले, बकरे के लाञ्छनवाले, जन्मनक्षत्र कृत्तिका और वृष राशिवाले हैं । १त्रिषष्टीशलाका पुरुष चरित्र में 'हाथी' की सवारी लिखा है। २प्राचारदिनकर में सुवर्ण वर्णवाली लिखा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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