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जिनेश्वर देव और उनके शासन देयों का स्वरूप (१५३ ) सुविधिजिन नामके नववें तीर्थंकर हैं, उनके शरीर का वर्ण सफेद है, मगर का लांछन, जन्म नक्षत्र मूल और धन राशि है।
उनके तीर्थ में 'अजित' नामका यक्ष सफेद वर्ण का, कछुए की सवारी करने वाला, चार भुजावाला दाहिनी दो भुज ओं में बीजोरा और माला, बॉयीं दो भुजाओं में न्यौला और भाला को धारण करनेवाला है ।
उनके तीर्थ में 'सुतारा' नामकी देवी गौरवर्ण की, वृषभ (बैल ) की सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और माला; बाँथीं दो भुजाओं में कलश और अंकुश को धारण करनेवाली है ॥ ६॥ दशवें शीतलजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप
तथा दशमं शीतलनाथं हेमाभं श्रीवत्सलाञ्छनं पूर्वाषाढोत्पन्नं धनराशि चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नं ब्रह्मयक्षं चतुर्मुखं त्रिनेत्रं धवलवर्ण पद्मासनमष्टभुजं मातुलिङ्गमुद्गरपाशाभययुक्तदक्षिणपाणिं नकुलकगदाङ्कुशाक्षसूत्रान्वितवामपाणिं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां अशोकां देवीं मुद्गवर्णा पद्मवाहनां चतुर्भुजां वरदपाशयुक्तक्षिणकरां फलाङ्कुशयुक्तबामकरां चेति ॥ १० ॥
___ शीतलजिन नाम के दसवें तीर्थंकर हैं, उनका वर्ण सुवर्ण वर्ण का है, श्रीवत्स का लाञ्छन, जन्म नक्षत्र पूर्वाषाढा और धनु राशि है ।
उनके तीर्थ में 'ब्रह्मयक्ष' नाम का यक्ष चार मुखवाला, प्रत्येक मुख तीन २ नेत्रवाला, सफेद वर्ण का, कमल के आसनवाला, आठ भुजा वाला, दाहिने चार हार्थों में बीजोग, गुद्गर, पाश, और अभय; बाँयें चार हाथों में न्यौला, गदा अंकुश और माला को धारण करनेवाला है।
उनके तीर्थ में 'अशोका' नाम की देवी. मूंग के वर्णवाली, कमल के आसन वाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और पाश; बाँयी दो भुजाओं में 'फल और अंकुश को धारण करनेवाली है ॥ १० ॥
। दे० ला० सूरत में छपी हुई च० वि० जि० स्तु० में ढाल बना दिया है, यह मशव है।
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