________________
अनंतजिन
"
"
१५६
कुंथुजिन
"
"
१५९
ताराबल ...
विषय
पृष्ठांक | विषय वासुपूज्यजिन और उनके यक्ष यक्षिणी १५४ । प्रहों का मित्रबल ... ... १८० विमलजिन " "
... ... ... १८१ " "
१५५ / ग्रहों का दृष्टिबल
प्रतिष्ठा, शिलान्यास और सूत्रपात के धर्मनाथ " " " "
- नक्षत्र शांतिनाथ
१५७ | प्रतिष्ठाकारक के अशुभ नक्षत्र .... १५७ बिम्बप्रवेश नक्षत्र
१८२ अरनाथ १५८ नक्षत्रों की योनि
१८३ मल्लिजिन १५९ योनिवैर और नक्षत्रों के गण ...
.. १८४ मुनिसुव्रत " "
राशिकूट और उसका परिहार ...
.. १८५ नमिजिन , " " १६० राशियों के स्वामी
.. १८५ नेमिनाथ , " " "
१६१ | नाडीकूट और उसका फल ... १८६ पार्श्वनाथ , " " १६१
१८६ महावीर , , , , १६२ वर्ग बल ....
.. १८७ सोलह विद्यादेवियों का स्वरूप ... १६३ | लेन देन का विचार
.. १८८ जयविजयादि चार महा प्रतिहारी देवियों।
राशि आदि जानने का शतपद चक्र १८९ का स्वरूप ... ... १६८
तीर्थकरों के जन्मनक्षत्र और राशि १९१ दस दिक्पालों का स्वरूप ... १६९ |जिनेश्वर के नक्षत्र आदि जानने का नव ग्रहों का स्वरूप .. ... १७२
चक्र ... ... १९२ क्षेत्रपाल का स्वरूप .... .... रवि और सोमवार को शुभाशुभ योग १९४ माणिभद्र क्षेत्रपाल का स्वरूप ... १७५ मंगल और बुधवार को शुभाशुभ योग १९५ सरस्वती देवी का स्वरूप ... १७५ गुरु और शुक्रवार को शुभाशुभ योग १९६
शनिवार को शुभाशुभ योग ... १९७ प्रतिष्ठादिक के मुहूर्त
शुभाशुभयोग चक्र ... १९८ संवत्सर, अयन और मास शुद्धि १७६ रवियोग और कुमारयोग ... १९९ तिथिशुद्धि .... ... १७७ राजयोग, स्थिरयोग, वनपातयोग २०० सूर्य और चन्द्र दग्धा तिथि ... १७८ कालमुखी, यमल, त्रिपुष्कर, पंचक प्रतिष्ठा तिथि १७८ __और अबला योग
... २०१ वार शुद्धि
.. १७९ मृत्युयोग प्रहों का उबबल ... ...
१७९ / अशुभ योगों का परिहार ... २०२
... २०२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org