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आदर्श जीवन।
अमो दीन गरीब सेवको योग्य काम सेवा. फरमावशोजी 'पत्र पहुंचे थी जरूर प्रत्युत्तर आपी सेवको ने आनंदित करशो जी. एज नम्र विनंती. सं० ११८१ ना पोस सुदि २ शानिवार द. दर्शनातुर चरण किंकर झवेर नी सविनय वंदना १००८ वार अवधारशोजी। .
नोट-कितने ही धर्मात्मा गुरुभक्तों के अन्यान्य पत्र भी आये थे, परन्तु अफसोस है के वे पत्र बे ख्याली में रद्दी में डाल दिये गये । उम्मीद है वे भाई साहिब मुआफ फरमायेंगे ।
प्रो. बनारसीदास जैन एम्. ए., लंडन का पत्र. . स्वस्ति श्री गुजरांवाला नगरे विराजमान श्री १००८ श्री मद्विजयवल्लभ मूरि जी जोग लन्दन से सेवक बनारसीदास का सविनय वन्दना नमस्कार वाँचना । यह समाचार सुन कर मुझे निहायत खुशी हुई है कि आप ने पंजाब के जैनियों का उद्धार करने का भार अपने जिम्मे ले लिया है अर्थात् स्वर्गवासी गुरु महाराज के लगाए हुए पौधे की आप सब प्रकार रक्षा करेंगे और इस का चिन्ह रूप आचार्य पद आप ने धारण कर लिया है । काम तो बड़ा कठिन है परन्तु आप ने गुरु महाराज के अन्तेवास में सब अवस्थाएं देखी हैं और आप यहाँ के लोगों से भली प्रकार परिचित हैं। परमात्मा आप को इस काम में सिद्धि देवें । स्वामीजी महाराज तथा अन्य मुनिराजों के चरण कमलों में वन्दना नमस्कार ।
BANARSJ DAS, JAIN,
112, GWER STREET, ____LONDON, W.CI. समाप्त.
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