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________________ आदर्श जीवन । महाराजजी की कृपासे सुखशांति है। आप श्रीकी सुखसाता की सदा चाहना रखते हैं और आप श्रीने श्रीसंघ के आते आग्रह से आचार्य पद का ग्रहण किया है उसीसे हमको बहोत आनंद प्राप्त हुवा है । देवाधिदेव से हाथ जोड़के यही प्रार्थना हम करते हैं कि ऐसा शुभ अवसर हमको वारंवार प्राप्त हो । सं. १९८१ पोसवदी २ शनिवार । से. सागरमल की १००८ वार वंदना स्वीकारशोजी. से. दीपचंद की १००८ वार वंदना से. सेंसमल की १००८ वार वंदना से. तेजमल की १००८ वार वंदना से. सिरदारमल की १००८ वार वंदना मुम्बई। १२-१२-२४ “ आनंदित अनुमोदन विनंती पत्रिका ।" पूज्य महान उपकारी १००८ श्री अमर नाम विजयवल्लभ मूरि महाराज के चरण में ली. आपका दासानुदास गुरुभक्ताभिलाषी प्रभु गुण गायक प्राण सुख मानचंद के १००८ वंदना आप चरणमें कबूल करेंगे । शुदि १० मी के दिन मु० श्री बालापुर में उत्सव प्रसंग में मैं गया था, वहाँ सुस्वप्न देखा सुस्वर सब सुने सुवास आई, मन प्रफुल्लित हुआ, अंतरीक जी और भांडुक जी की यात्रा करके आज मुंबई आया । पूज्य पं० ललितविजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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