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आदर्श जीवन ।
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श्रीसंघने जो उपाधियाँ आपको दी हैं वह बहुत उचित ही किया क्योंके बडे गुरु महाराजजीके बाद पंजाब में जरूरत ही थी।
.. द. दयालचंद ।
१५६ । A हैरीसनरोड
कलकत्ता 17-12-24 श्रीजैन श्वेताम्बर संघ लाहोर जोग लिखी कलकत्ते से दयालचंद का जय जिनेश्वरदेव ।
आपका तार मिला । आपके शुभ समाचार पढ़कर बड़ी खुशी हुई कि आप लोगों ने आचार्य पदवी से श्री वल्लभविजयजी महाराज को वा “उपाध्याय पदवी" से श्री सोहन विजयजी महाराज को विभूषित करा। पंजाब देश में ही इस कार्य की होने की निहायत आवश्यकता थी, जो कुछ हुआ, बहुत ही उचित हुआ, आपके इस कार्यपर आप लोगों को धन्यवाद दिया जाता है।
__आपका सेवक-- दयालचंद ।
श्रामान् शासनरक्षक पूज्यपाद आगमज्ञाता श्री १००८ श्री विजयवल्लभ मुरीश्वरजी महाराज की सेवामें लाहोर, अनेकशः वंदना सहित निवेदन कि स्वास्थ्य सुखवृत्ति के समाचार दीर्घ समय से ज्ञात नहीं हुवे, प्रसंगोपात लिखने की
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