SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२६ आदर्श जीवन। PvA.ARMAANAAAAAAMRA.. विज्ञप्तित्रिवेणी नामा पुस्तक-जो भावनगर (काठियावाड) की श्रीजैनआत्मानन्दसभाने छपवाया है पढ़नेसे बखूबी. मालूम हो जाता है। (सं० १९८१-८२) होशियारपुरसे विहार कर मियानी, उरमड आदि स्थानोंके जीवोंको उपदेशामृत पिलाते हुए आप 'जंडियाला गुरु" पधारे । वहाँके लोग बाजेगाजेके साथ आपका सामैया करनेके लिये सामने आये, मगर आपने विचार कर लिया था कि, जबतक मनोरथ पूर्ण न होगा तब तक कहीं भी जुलूसके साथ नगरप्रवेश न करेंगे । तदनुसार आपने संघसे कहा:-" उरमडमीयानीमें भी विनाही वाजेके मैं गया हूँ यहाँभी उसी तरह जाऊँगा।" ___ संघमें उदासीनता छा गई । मगर क्या करता लाचार था । बाजे लौटा दिये गये । बाजोंके धूमधड़ाके बिनाका शान्त जुलूस निकला । लोग इस शान्त जुलूससे विशेष प्रभावान्वित और अन्तद्रष्टा बने । आपका विचार शीघ्र ही गुजराँवाला पधार कर स्वर्गीय गुरुदेवकी समाधीकी चरणवंदना करनेका था; परन्तु लाहोर आदि रास्तके स्थानोंमें प्लेग हो जानेके कारण श्रावकोंके आग्रहसे आपको वहीं ठहरना पड़ा। जंडियालेमें कई दिनोंसे आपसमें कलह चल रहा था । आपके प्रयाससे वह मिट गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy