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________________ आदर्श जीवन । तो भी पटियालेवाले अन्य भाइयोंने आपको वहीं पर मास कल्प करनेकी विनती की थी; परन्तु सामानेकी प्रतिष्ठाके दिन नजदीक आ गये थे इस लिए आप वहाँ न ठहर सके । __ पटियालेसे विहारकर आप सामाने पधारे । समारोहके साथ आपका सामैया हुआ । जैनेतर लोग भी बहुतसे आये थे। वहाँ पर जैन और जैनेतर लोगोंमें किसी कारणवश मुकदमा चल रहा था। आपने दोनों तरफके लोगोंको समझाकर आपसमें फैसला करा दिया । संवत् १९७९ माघ सुदी ११ को श्रीशांति नाथ प्रभुकी प्रतिष्ठा बड़ी घामधूम और आनंदोत्साहके साथ हुई। . सामानेसे विहार कर आप नामे पधारे । नामेमें स्थानकवासियोकी बस्ती अधिक है। उन्होंने अपने उपाश्रयमें पधारकर व्याख्यान बाँचनेकी प्रार्थना की। इस लिए आप वहीं जाकर व्याख्यान बाँचने लगे। उनके हृदयमें आपके लिए बड़ी श्रद्धा उत्पन्न हो गई। करीब दस दिनतक आप वहाँ विराजे थे । नाभेसे विहार कर आप मालेरकोटले पधारे । वहाँ बड़े उत्साहके साथ आपका स्वागत हुआ । जुलूसमें मालेरकोटलाका सरकारी बाजा आदि सामान भी था। __ आपके वहाँ हमेशा व्याख्यान होते थे । उनमें जैनसे जैनेतर लोग ही अधिक जमा हो जाते थे। ___ वहाँ अनेक सज्जनोंने मांस मदिराका त्याग कर दिया । दो मुसलमान भाई भी मांसाहार छोड़ आपके पूर्ण भक्त बन गये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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