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________________ आदर्श जीवन । ग्रहण करना विशेष पसंद करता हूँ। इतना ही नहीं इस एकताके मार्ग पर चलनेवाले मनुष्यको-चाहे वह गृहस्थ हो या साधु-मैं आदरकी दृष्टिसे देखता हूँ; उसका आदर करनेके लिए अपने आपको प्रेरित करता रहता हूँ। इसी लिए अभी लालबागमेंसे और बंदर परसे, खरतर गच्छके और अंचलगच्छके अमुक व्यक्तियोंके नामसे जो आन्दोलन हो रहा है उसको मैं उपेक्षाकी दृष्टिसे देखता हूँ। मैं ऐसे क्लेशके काममें अपनेको लगाना नहीं चाहता। मंगर कुछ जल्दबाज परिणामका विचार किये विना उछलकूद कर रहे हैं और कह रहे हैं कि, ऐसा होना चाहिए और वैसा होना चाहिए। इस लिए मैं स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि, ऐसे किसी भी काममें मैं सहमत नहीं हूँ। जो कोई जो कुछ भी करना चाहता है वह अपनी योग्यता देखकर करे उसके अखतियारकी बात है। उस कामके उत्तरदायित्वका भार भी उसीके सिर रहेगा। ___ हाँ, एक बातमें मैं तुम्हारा साथ दूंगा। यदि तुम सब निर्णय ही करना चाहते हो यद्यपि यह बात असाध्यसी जान पड़ती है-तो तुम्हारे यानी तपगच्छके कुछ मुखिया जौहरी कल्याणचंद सोभागचंद, जौहरी नगीन भाई मंछूभाई, सेठ देवकरण मूलजी, सेठ मोतीलाल मूलजी, और लक्ष्मीचंदजी घीया आदि, इसी तरह खरतरगच्छके व अंचल गच्छके कुछ मुखिया मिलकर विचार करें, शान्तिके साथ निर्णय करनेका निश्चय करें और फिर मुझे सूचना दें। मैं यथासाध्य उसमें भाग लूंगा; पूण शक्तिके साथ प्रयत्न करूँगा।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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