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________________ २७८ आदर्श जीवन । करने देंगे । परिस्थिति देखकर आपने वहीं चौमासा करना स्थिर कर लिया। ___ जब वैरावलवालोंको यह बात मालूम हुई, वे बड़े उदास हुए । वहाँके कुछ श्रावकोंने आकर वैरावलमें किन्हीं महात्माको चौमासेके लिए भेजनेकी विनती की । आपने उनकी विनतीको स्वीकार कर पं० सोहनविजयजी महाराजको वहाँ चौमासा करनेके लिए भेज दिया । उनके साथ मुनि श्रीविद्याविजयजी महाराज, मुनि श्रीविचारविजयजी महाराज, और मुनि श्रीसमुद्रविजयजी महाराजको भेज दिया। आपने सं०१९७३ का तीसवाँ चौमासा जूनागढ़में किया। आपके साथ (१) मुनि श्रीविमलविजयजी महाराज (२) मुनि श्रीकस्तूरविजयजी महाराज (३) मुनि श्रीविबुधविजयजी महाराज ( ४ ) मुनि श्रीविचक्षणविजयजी महाराज ऐसे चार साधु थे। इस चौमासेमें धार्मिक क्रियाएँ पूजा प्रभावनाएँ, अठाई, एकासन, व्रत, छठ, अट्ठम आदि अच्छे हुए थे। ___ बंबईके श्रीजीवदया ज्ञानप्रसारक फंडकी तरफसे वहाँ ता. २-६-१६ को एक सार्वजीनक सभा हुई थी। उस सभाके सभापतिका स्थान आपने सुशोभित किया था। __ता० १६-६-१६ का लिखा हुआ जैनशासनके संपादकका आपके पास एक पत्र आया था । उसमें लिखा था कि,-" आप बालकोंको सुशिक्षित बनानके लिए इतना परि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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