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आदर्श जीवन ।
त्याग कर दिया है । जो रहे हैं वे भी संभवतः शीघ्र ही कर देंगे। x x x x आपके उपदेशसे करचलियेके लोगोंने फिरसे निश्चित कर लिया कि वाणियावाड़से प्रभुको यहाँ लाकर पधराना और जो आशातना होती है उसे बंद करना । आपने फर्माया कि, हम विधिसहित प्रार्थना करेंगे, यदि करचलियमें पधारनेकी अधिष्ठाताकी मरजी न होगी तो प्रतिमाजी स्थानसे उठेंगे ही नहीं। __ सं. १९७२ के वैशाख सुदी ६ का मुहूर्त स्थिर हुआ। xxxxx विधि सहित, धूमधामके साध प्रभुको रथमें विराजमान कर करचलियेमें ले आये । उस समय लोगोंमें अपूर्व उत्साह था । महाराजके प्रतापसे. श्रावक श्राविकाओंको पूजा, दर्शन, भक्ति आदिका लाभ मिलने लगा। इससे वहाँके श्रावक आपका अत्यंत उपकार मानने लगे। x x x x x x x x "
करचलियेसे विहार कर आप बुहारी आदि स्थानोंके लोगोंको धर्मामृत पिलाते हुए सं. १९७२ का उन्तीसवाँ चौमासा करनेके लिए मूरत पधारे और गोपीपुरके उपाश्रयमें विराजे । उस समय आपके साथ (१) मुनि श्रीविमलविजयजी (२) मुनि श्रीविबुधविजयजी (३) मुनि श्रीतिलकविजयजी (४) मुनि श्रीविचक्षणविजयजी (५) मुनि श्रीमित्रविजयजी ऐसे पाँच साधु थे।
चौमासा बड़े आनंदसे धर्मध्यानमें समाप्त हुआ।
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