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दास आपकी छाया का अनुगामी होता रहेगा।" धूप की लपटों में थके मांदे, प्यासे, मंजिल पर मंजिल ते करते हुए आप गुजरांवाला पहुँचने की कोशिश में लगे । ___ पहले दिन आपने २२ मील का सफर त किया । गांव में पहुंचे तो लोगों ने देखा, पैरों में छाले पड़ रहे हैं । शरीर थक कर चूर २ हो रहा है, मगर आपको इस बात का कुछ खयाल ही नहीं था। एक ही धुन थी कि किस प्रकार गुजरांवाला पहुँचे । . गरमी की ऋतु थी। जलती रेत में आप चलते ही रहे। रास्ते में श्रावक लोग प्रार्थना करते थे "गुरुदेव ! आपके पैर सूज रहे हैं, हालत बहुत खराब हो रही है । आप कुछ समय के लिए आराम कीजिए।" । ___ आप हँस कर कह देते--"यह तो पौद्गलिक शरीर का धर्म है, वह अपना धर्म पालता है और मैं अपना धर्म पालूँ इसमें क्या बड़ी बात है। मुझे आराम उस दिन मिलेगा जब गुजरांवाला पहुँच कर अपने वृद्ध मुनिराजों के वचनों को सफल करके धर्म की ध्वजा फहराती हुई देखूगा।" __इस प्रकार कठिन विहार करके आप गुजरांवाला पहुँचे। सारे संघ ने आपको जुलूस के साथ नगर प्रवेश कराने का विचार किया किन्तु आपने स्वीकृत नहीं किया
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