________________
(१५०) करके मंडप में वापिस आये तो आपका और उपस्थित सज्जनों का रिवाज के अनुसार सम्मान किया गया । आपने समयोचित भाषण दिया । आचार्य महाराजजी ने भी अवसर के अनुसार योग्य उपदेश दिया। श्रीफलों की प्रभावना हुई। शाम को सेठ साहिब श्री कांतिलालजी को राधनपुर निवासियों की तरफ से मानपत्र दिया गया। अगले दिन रथयात्रा का जुलूस निकला। पूजा प्रभावना होती रही। पूजा पढ़ाने के लिये प्रसिद्ध गायक श्रीयुत् प्राणमुख भाई को विशेष आग्रह से बुलवाया गया था। इस उत्सव में अंबाला शहर के श्री आत्मानंद जैन हॉई स्कूल के बैंड और विद्यार्थियों ने अच्छी रौनक की। सेठजी ने प्रसन्न होकर इस स्कूल को भी २००० रुपया प्रदान किया। १. राधनपुर से विहार कर जब आचार्य महाराज सनाड पहुँचे वहां सेठजी की तरफ से स्वामीवत्सल किया गया। यहां से आप पाटण पधारे। प्रवेश के समय ही वयोद्ध श्री प्रवर्तकजी श्री कान्तिविजयजी महाराज के दर्शन हुये। पाटण में विश्राम करते हुये आपने प्रभावशाली. व्याख्यान द्वारा एक ज्ञान मंदिर बनवाने के लिये उपदेश दिया। वहां 'श्री हेमचन्द्राचार्य आत्म कान्ति ज्ञान मंदिर' बनाने का निश्चय होगया । श्रीमान् सेठ हेमचंद्र
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org