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किया। दानवीरजी की तर्फ से स्वामी-वत्सल किया गया। इस अवसर पर भी शताब्दि फंड में चंदा जमा हुआ। .... आषाढ़ मुदि ३ को आप चातुर्मास के लिये बंबई शहर में पधारे। बाई आँख से पानी बहने के कारण उसका आपरेशन कराना अत्यावश्यक हो गया। अत: सुश्रावक डाक्टर शरॉफ ने ऑपरेशन कर दिया, जिसमें उन्हें अच्छी सफलता हुई। थोड़े दिनों में पानी बहने का रोग शान्त हो गया। .... अब बंबई श्रीसंघ भी यह आग्रह करने लगा कि श्री आत्मानंद जन्म शताब्दि महोत्सव मनाने का लाभ उनको मिलना चाहिये। परन्तु आपने पूर्व निर्धारित विचार उनके समक्ष प्रस्तुत किया। बंबई संघ को यह बात माननी पड़ी। ....चौमासे के बाद विहार करके आप बिल्लीमोरा पधारे। आमोद के मुख्य श्रावक यहां आपकी सेवा में उपस्थित हुये और आमोद में जिन मंदिरजी की प्रतिष्ठा कराने के लिये वहां पधारने को विनती करने लगे। वे करचेलिया तक आपके साथ भी गये। आपको पाटण पधारने की जन्दी थी। अतः आप स्वयं आमोद न जा सके। ऐसी भक्ति पूर्ण विनती का भी तिरस्कार करना उचित न समझ कर आपने पंन्यासजी श्री समुद्रविजयजी महाराज
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