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________________ [ ५८६ ] पापर्व का अनुसरण समन्वय ५८ | अर्थभेद की मीमांसा ६६ नाथपुत्र निग्गंठ ५६, ८८ भोजन की आपवादिक स्थिति ६६ रेवती द्वारा दान ८० अहिंसा संयमतप का सिद्धांत ६८ ऐक वस्त्र धारण और अचेलता 45 के त्याग में बौद्ध और वैदिक. द्वारा अनुसरण ६६ पार्श्व परंपरा का प्राचार १७ विरोधी प्रश्न और समाधान ६९ निंक द्वारा प्रशंसा १८ माठरवृत्ति ५०३ सामायिक का प्रश्न १०४ माणिक्यनंदी ३६५, ३८७ अभयकुमार को बुद्ध के पास मातृचेट ५१६ भेजते हैं १०७ माध्यमिक कारिका ४६८ महावीरपूर्व श्रत १०८ दण्डादि की महावीरपूर्व परंपरा माध्ववेदान्त ३४६ मानवस्वभाव ६३ वर्ण विषयक मान्यता के दो विरोधी पहलू ६३ माया २२५ की सर्वज्ञता ११४ मार्गणा २५३, ३४० की सामायिक १२१ गुणस्थान से अन्तर २५३ अनेकान्त के प्रचारक १४६, १५२ ] मार्गणास्थान २६१, ३४० कर्मशास्त्र से संबंध २०५ मार्गानुसारी २६४ से कर्मवाद का आविर्भाव २१७ मिथ्याज्ञान २२८ के समय के धर्म २१८ मिथ्यात्व २२८ स्त्री-दीक्षा के समर्थक ३२७ मिथ्यादृष्टि २७६ और गोशालक ५१५ गुणस्थान २६४ महाव्रत १८ पाँच महावीर के ९८ मिश्रसम्यग्दृष्टि ३४१ चार पावं के १८ मीमांसक ८३,१५०,२०८,२२५,३५१, . जैन बौद्ध का अन्तर ६६ ३५३, ३८५, ४०३,४१०,४१०, ४२३,४२७,४२६, ४३१, ४४५,. महासांघिक ८६ ४६४, ५०१ महेन्द्रकुमार ४६६, ४६९-४७४, ४८० | मीमांसा ४१२ मांसभक्षण ८१ मुजफ्फरपुर ५ मांस-मत्स्य ६१-६६,६८,६९ मुक्त्यद्वेषप्राधान्य द्वात्रिंशिका २८९ आदि की अखाद्यता ६१ मुनिचंद्र ३२५ आदि शब्दों के अर्थभेद ६२ मुमुत्ता बौद्ध वैदिक अादि में ६४ दार्शनिक मतों की तुलना ३१७ - स्थानकवासी में ६५ । मुलतान ४६६ ava - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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