SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 931
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ५८१ ] नातपुत्त निग्गंठ ५१० निर्वचनीयत्व १६० नारकों की संख्या ३४३ निर्वचनीयवाद १६३ नारायण ४५५ निर्विकल्पक ५२५ नालंदा ९ निर्विकल्पक ज्ञान ४२५ निक्षेप ४६१, ४६२ निर्विकल्पक बोध ४४०, ४४१, ४४५ निगंठ उपोसथ १०२, १०३ जैन दृष्टि से ४४० निगंठ नातपुत्तो कम ब्रह्मभिन्न में भी ४४१ निगंठा अकसाटका ८८ सविकल्पक का अनेकान्त ४४१ निग्रहस्थान ३७२ शाब्द नहीं ४४१ नित्यकर्म १७७ अपायरूप ४४५ नित्यत्ववादी १६७ निर्वृत्यपर्याप्त ३४२ नियमसार ३०७, ४४३ निवर्तकधर्म १३३, १३५, १३७,१३६ निम्रन्थ ४६, ४७, ५१,५२, ६६, ७३ । २०६ निवृत्ति १४६ १०१, ११० प्रवचन ५२ लक्षी प्रवृत्ति १४६ शब्द केवल जैन के लिओ ५२ ! निवृत्ति प्रवृत्ति ५१०, ५११, ५१४ प्राचारका बौद्ध पर प्रभाव ६६ का सिद्धान्त ५११ के उत्सर्ग और अपवाद ७३ का इतिहास ५१४ दण्ड, विरति, तप द्वारा निर्जरा निश्चय ३४० और संवर की मान्यता का बौद्ध | निश्चय दृष्टि ३३३, ५२३ निर्देश १०९, ११० निश्चयद्वात्रिंशिका ३८२ निम्रन्थत्व ४०८, ४०६ निश्चय व्यवहार ४९८, ५३० निग्रंथ धर्म २०१ विशेष विचार ४९८ निग्रन्थ संघ ६६ अरिहंत सिद्ध ५३० की निर्माण प्रक्रिया ६६ निषेधमुख १६०,३५० निग्रन्थ संप्रदाय-५०,५८, ५६, १३६ निहनव ८७ का बुद्ध पर प्रभाव ५८ नेमिकुमार १४४ प्राचीन श्राचार विचार ५६ नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ति २४३,३१८ के मन्तव्य और प्राचार १३६ | नेमिनाथ ७५, १२०, ५१४, ५१६, के तीनपक्ष २०६ व्यक्तिगामी १३७ के द्वारा पशुरक्षा ७५ प्रभाव व विकास १३७ नैगम ५०३ नियुक्ति १५, ३८०, ४२६, ४४४ नैयायिक १६९, २२५, ४२३, ४३८. निर्लेपता २२६ गौतम १५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy